2025 महाकुम्भ के शाही स्नान,पेशवाई की जगह अखाड़ा राजशी स्नान एवं अखाड़ा राजशी शोभायात्रा हो- दुकानजी

तीर्थराज प्रयागराज में  विश्व का सबसे बड़ा  महाकुम्भ मेला प्रयागराज की पावन तीर्थ स्थली माँ गंगा,यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर लगता है। उस समय सभी देवी देवताओं का आगमन संगम पर होता है जिसमें भारतीय संस्कृति  की झलक और इस पवित्र पावन भूमि  एक इन्द्रप्रस्थ बन जाता है। समय परिवर्तन के साथ भारतीय संस्कृति की पहचान पूरे विश्व मे एक अलग स्थान रखता  है। मुगलों के शासन के समय जो सन्त महात्माओं के अखाड़े जब महाकुंभ क्षेत्र में प्रवेश करते थे और महापर्वों पर सन्त-महात्मा जब संगम स्नान के लिये निकलते थे,   तब उसके कुछ नाम दिये गये पेशवाई, शाही स्नान ।  यह भारतीय संस्कृति मे शब्द भावनाओं को  पिंच करता रहा । अब सन्त महात्माओ ने उस का नामकरण करने हेतु सुझाव दिया, वह सनातन भारतीय संस्कृति की जो शब्दावली है उसकी पहचान बने शाही स्नान की जगह अखाड़ा राजसी स्नान और पेशवाई  की जगह अखाड़ा राजसी शोभा यात्रा होने चाहिये।  जब अयोध्या मे भगवान राम के आने पर  रामराज्य के आने की घोषणा कर दिया , तो तीर्थों के राजा प्रयागराज में 2025 के महाकुम्भ में शाही स्नान एवं  पेशवाई का एक अलग  नामकरण अखाड़ा राजशी स्नान के नाम से और अखाड़ा राजशी शोभा यात्रा नाम से होना चाहिए। जिसका समर्थन समस्त सन्त समाज, बौद्धिक जनमानस, अन्तर्राष्ट्रीय भगवान परशुराम सेवा ट्रस्ट, अखिल भारतीय रामायण मेला समिति, प्रयाग, भारतीय सांस्कृतिक परिषद, श्री राम लीला कमेटी महासंघ समर्थन करती है । यह जानकारी प्रेस को प्रचार प्रसार मंत्री दुकानजी ने दिया।

Dukanji, Prominent social worker, has issued a statement calling for a change in the terminology used for certain rituals during the 2025 Kumbh Mela in Prayagraj. The suggestion is to replace the terms “Shahi Snan” (Royal Bath) and “Peshwai” (Procession) with “Akhada Rajasi Snan” (Royal Bath of the Akhara) and “Akhada Rajasi Shobha Yatra” (Royal Procession of the Akhara), respectively.

The rationale behind this proposed change is rooted in the desire to align these terms more closely with the authentic essence of Indian culture and the spiritual significance of the Kumbh Mela. The terms “Shahi Snan” and “Peshwai” were introduced during the Mughal era and, while they have become traditional, they do not fully encapsulate the spiritual and cultural nuances of these rituals.

The Akharas, or monastic orders, have suggested that the new terms, “Akhada Rajasi Snan” and “Akhada Rajasi Shobha Yatra,” better reflect the regal and spiritual nature of these events, and are more in line with the ancient Indian traditions.

This proposal has received widespread support from various organizations, including the Sant Samaj (community of saints), intellectuals, the International Lord Parashuram Seva Trust, the All India Ramayana Mela Committee, the Prayag Indian Cultural Council, and the Sri Ram Leela Committee Federation.

The 2025 Kumbh Mela is expected to be one of the largest religious gatherings in the world, and the organizers believe that this change in terminology will contribute to a deeper appreciation and understanding of the rich cultural heritage of India.

Key Points:

  • Proposed Change: Replacing “Shahi Snan” and “Peshwai” with “Akhada Rajasi Snan” and “Akhada Rajasi Shobha Yatra”.
  • Reason: To better reflect the spiritual and cultural significance of the rituals.
  • Support: The proposal has received widespread support from various organizations.
  • Goal: To promote a deeper understanding of Indian culture.

In essence, the call for a name change aims to make the terminology used at the Kumbh Mela more authentic, meaningful, and reflective of India’s ancient traditions.