क्या है विहंगम योग
स्रोत – अध्यात्म-विज्ञान पुस्तक से। संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की अमृतमयी दिव्यवाणीयों का अनूठा संग्रह।
- मनोनिग्रह से शुरू होकर मोक्ष तक की यात्राक् हैविहंगम योग।
- ज्ञान का वास्तविक स्वरूप है विहंगम योग।
- मन के नियंत्रण का विज्ञान हैं विहंगम योग।
- ध्यान की पूर्णता है विहंगम योग।
- दुःखो के बीच सुखपूर्वक जीवन जीने की कला है विहंगम योग।
- न केवल जीवन जीने की कला बल्कि शरीर छोड़ने की कला, मृत्यु का विज्ञान है विहंगम योग।
- मुक्ति का विज्ञान है विहंगम योग।
- Science of Consciousness, चेतना का विज्ञान है विहंगम योग।
- स्वर्वेद का सिद्धान्त, स्वर्वेद का दर्शन है विहंगम योग।
- सदगुरु का अनुभव है विहंगम योग।
- सिद्धान्त और साधना का समन्वय है विहंगम योग।
- योग की पूर्णता है विहंगम योग।
- आत्मा के उद्धार का साधन है विहंगम योग।
- स्वयं को पहचानने की विद्या है विहंगम योग।
- परमात्मा की शक्ति से जुडने की कला हैविहंगम योग।
- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति का साधन है विहंगम योग।
- सेवा सत्संग और साधना की त्रिवेणी है विहंगम योग।
- ज्ञान का चेतन स्वरूप है विहंगम योग।
- भक्ति की चेतन युक्ति, भक्ति की चेतन मार्ग हैविहंगम योग।
- भारत की प्राचीनतम् विद्या का नाम हैविहंगम योग।
- भक्ति का विशुद्ध स्वरूप है विहंगम योग।
- प्रेम की पराकाष्ठा का नाम है विहंगम योग।
- प्रेम और श्रद्धा का वास्तविक स्वरूप हैविहंगम योग।
- ध्यान की पराकाष्ठा है विहंगम योग।
- मन को उसकी भूमि में लय करने का विज्ञान हैविहंगम योग।
- स्व में अर्थात आत्मतत्व में स्थित होने का विज्ञान है विहंगम योग।
- ज्ञान की उच्चतम भूमि, ज्ञान का चेतन स्वरूप है विहंगम योग।
- जिस प्रकार भौतिक विज्ञान के द्वारा भौतिक समस्त पदार्थो का ज्ञान होता है, उसी प्रकार ब्रह्म-विद्या विहंगम योग के इस चेतन विज्ञान के द्वारा समस्त चेतन पदार्थो का ज्ञान प्राप्त होता है।
- चेतन आत्मा एवं चेतन परमात्मा की विज्ञान की प्राप्ति का मार्ग है विहंगम योग।
- अध्यात्म का विज्ञान है विहंगम योग।
- सदगुरु का सिद्धान्त हैं विहंगम योग।
- योग की पराकाष्ठा है विहंगम योग।
- स्वर्वेद का चेतन प्रकाश है विहंगम योग।
- दशम द्वार को खोलने का विज्ञान हैविहंगम योग।
- दस और दो का भेद है विहंगम योग।
- प्रकृति से परे होने की विद्या है विहंगम योग।
- इन्द्रियों से परे पदार्थो की अनुभव का विज्ञान है विहंगम योग।
- शरीर में रहते हुए, संसार में रहते हुए इनसे परे होने का विज्ञान है विहंगम योग।
- आत्मा की ध्वनि को सुनने का विज्ञान हैविहंगम योग।
- ज्ञान की सर्वोच्च भूमि है विहंगम योग।
- प्रत्येक वस्तुओं का वास्तविक स्वरूप का बोध कराता है विहंगम योग।
- विहंगम योग क्या है? यह शब्द-सुरति योग है, यह ब्रह्म-विद्या है, यह मीन मार्ग है, यह सहज योग है, यह पराविद्या है, यह देवयान पथ है, यह चेतन योग है।
- भक्ति की पूर्णता है विहंगम योग।
- भक्ति का वास्तविक स्वरूप है विहंगम योग।
- प्रेम की गहराई, प्रेम की पूर्णता प्रेम की पराकाष्ठा, प्रेम का वास्तविक स्वरूप है विहंगम योग।
- साधना का अनुभव है विहंगम योग।
- मन, वचन, कर्म से एकता का सिद्धान्त हैविहंगम योग।
- आत्मा के कल्याण का साधन है विहंगम योग।
- जीवनमुक्ति का विज्ञान है विहंगम योग।
- जीते जी परमात्मा की प्राप्ति एवं त्रयताप दुःख से निवृत्ति का साधन है विहंगम योग।
- विरह और वैराग्य का मार्ग, विरह और वैराग्य की उच्च भूमि का नाम है विहंगम योग।
- विवेक का यथार्थ प्रकाश है विहंगम योग।
- भक्ति का यथार्थ प्रकाश है विहंगम योग।
- अध्यात्म की आत्मा का नाम है विहंगम योग।
- प्रकृति के त्रयगुणों से उपरम होने का साधन हैविहंगम योग।
- प्रेम का प्रवाह है विहंगम योग।
- अन्तरात्मा में प्रेम रस की धारा को प्रवाहित करने का विज्ञान है विहंगम योग।
- आत्मा की भूख को, आत्मा की प्यास को मिटाती है विहंगम योग।
- ज्ञान, भक्ति और वैराग्य का संगम है विहंगम योग।
- अध्यात्म का शुद्ध प्रवाह है विहंगम योग।
- भारतीय संस्कृति का प्रवाह है विहंगम योग।
- वाणी का विषय नहीं बल्कि अनुभव का विषय, साधना का विषय है विहंगम योग।वाणी से जो कुछ भी हम कहेंगे वह अल्प होगा।
- अध्यात्म की गाथा है विहंगम योग।
- ऋषियों का दर्शन है विहंगम योग।
- आत्मा के साक्षात्कार का विज्ञान है विहंगम योग।
- श्रद्धा का वास्तविक स्वरूप है विहंगम योग।
- विहंगम योग के दो भेद है- एक समस्त वाह्य तत्वों का ज्ञान एवं अभ्यान्तर साधना प्रणाली हैं।
- विहंगम योग क्या है? एक सैद्धान्तिक पक्ष और दूसरा साधनात्मक पक्ष है। एक परोक्ष ज्ञान है और एक अपरोक्ष ज्ञान है।
- योग, भक्ति एवं उपासना का यथार्थ स्वरूप, वास्तविक स्वरूप हैं विहंगम योग।
- सत्य का दर्शन, ईश्वर के साक्षात्कार का विज्ञान है विहंगम योग।
एक परिभाषा नहीं है अनन्त – अनन्त परिभाषायें हैं। न इति, न इति कहने में भलाई हैं।
ईश्वर हैं ! मिलाउँगा !! जिज्ञासु बनें !!!
स्रोत – अध्यात्म-विज्ञान पुस्तक से। संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की अमृतमयी दिव्यवाणीयों का अनूठा संग्रह।
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