प्रयागराज यमुना किनारे स्थित भगवान शिव का मनकामेश्वर मंदिर पौराणिक महत्व का है। मान्यता के अनुसार यहां पूजन-अर्चन से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
स्कंद पुराण और प्रयाग महात्म्य के अनुसार, अक्षयवट के पश्चिम में पिशाचमोचन मंदिर के पास यमुना किनारे भगवान कामेश्वर का तीर्थ है, जिन्हें शिव का पर्याय माना जाता है। जहां शिव होते हैं, वहां निश्चित रूप से कामेश्वरी अर्थात पार्वती का भी वास होता है। इसीलिए यहां भैरव, यक्ष, किन्नर आदि गण भी विराजते हैं।
आज हम लोग आ पहुंचए है, प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर पर
जो कि लालापुर में स्थित है, मंदिर की बहुत ही प्राचीन मानता है कि इसका वर्णन शिव पुराण में भी हुआ था। यह बहुत ही अधिक वर्ष पुराना मंदिर है। यह भी माना जाता है कि शिवलिंग हर महाशिवरात्रि पर 1 इंच बढ़ती है और शेषनाथ जी का स्वरूप में पत्थर विराजमान है ,वैभी 1 इंच बढ़ता है।
महाशिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या भक्त दर्शन करते हैं और बहुत ही बड़ा मेला लगता है ,और भंडारा भी चलता है। भक्त बहुत दूर-दूर से आते हैं, श्रद्धा भाव से दर्शन पूजन करते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन बहुत ही बड़ा रुद्र अभिषेक भी होता है,डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करते हैं।
मनकामेश्वर मंदिर को केदारनाथ के 18 ज्योतिर्लिंग को भूतेश्वर लिंग से भी माना जाता है जो कि प्रयागराज में स्थित है।
मनकामेश्वर के अतिरिक्त ऋणमुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर महादेव के शिवलिंग भी हैं। यहां हनुमानजी की दक्षिणमुखी मूर्ति भी है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की देखरेख में मंदिर को वर्तमान स्वरूप मिला। व्यवस्थापक स्वामी श्रीधरानंद ब्रह्मचारी के अनुसार रात साढ़े आठ बजे शृंगार के बाद जलाभिषेक नहीं किया जा सकेगा लेकिन दर्शन का क्रम भोर से आधी रात तक जारी रहेगा।