
क्या भगवान अब भी हमसे बात करते हैं?
मौन वार्ता
एक युवक बुधवार की रात बाइबल अध्ययन के लिए चर्च में गया, जहाँ पादरी ने परमेश्वर को सुनने और प्रभु की वाणी का पालन करने के बारे में बातें साझा की।
पादरी की बातें सुनकर युवक को बहुत आश्चर्य हुआ, “क्या भगवान अभी भी लोगों से बात करते हैं?”
चर्च के कामों में अपना कुछ योगदान देने के बाद, वह अपने कुछ दोस्तों के साथ कॉफी और पाई खाने के लिए बाहर गया और वे सभी पादरी द्वारा दिए गए संदेश पर चर्चा करने लगे।
सभी अपने-अपने अनुभवों को साझा करने लगे कि कैसे परमेश्वर ने विभिन्न तरीकों से उनका साथ दिया और उनके जीवन को संचालित किया।
अपने दोस्तों के साथ कॉफी पीते और ईश्वर की चर्चा करते-करते काफी समय बीत गया था। करीब रात के 10 बजे जब वह युवक कार से घर जाने के लिए निकला, तो अपनी कार में बैठते ही सबसे पहले उसने ईश्वर से प्रार्थना की, “भगवान, यदि आप अभी भी लोगों से बात करते हैं, तो मुझसे बात करें। मैं आपकी बात बहुत ध्यान से सुनूँगा और आपकी आज्ञा मानने की पूरी कोशिश करूँगा।”
जब वह अपने शहर की मुख्य सड़क से घर जाने के लिए दूसरी सड़क पर आया, तो उसके मन में अजीब विचार आया, “रुको और एक गैलन दूध खरीदो।”
उसने सिर हिलाया और ज़ोर से कहा, “परमेश्वर क्या यह तुम्हारी आवाज है?”
उसे कोई जवाब नहीं मिला और वह फिर से अपने घर की ओर चल पड़ा। लेकिन फिर से उसके मन में यही विचार आया कि एक गैलन दूध खरीदो।
युवक मन ही मन बोला, “ठीक है, भगवान, अगर यह तुम्हारी आवाज हैं, तो मैं दूध खरीद लूँगा।”
उस युवक को ईश्वर की इस आज्ञा का पालन करना कठिन नहीं लगा। वह वैसे भी हमेशा सुबह दूध का इस्तेमाल करता ही था। वह युवक रुका और उसने एक गैलन दूध खरीदा और एक बार फिर घर की ओर चल पड़ा।
जैसे ही वह 7वीं गली के पास पहुँचा, उसे फिर से एक आग्रह से भरी आवाज महसूस हुई, उस गली में मत जाओ। उस युवक ने सोचा कि यह क्या पागलपन है और वह 7वीं गली में मुड़ने के लिए चौराहे से आगे निकल गया। लेकिन कुछ ही पल में उस युवक को एक बार फिर लगा कि उसे 7वीं गली में नहीं जाना चाहिए, इसलिए अगले चौराहे पर से वह युवक वापिस से मुड़ गया। हँसते हुए उसने ज़ोर से कहा, “ठीक है, जैसा आप चाहते हैं भगवान, मैं वैसा ही करूँगा।”
अब उस युवक को अपने घर पहुँचने के लिए कई दूसरे रास्तों से गुजरना पड़ा। जब वह युवक ऐसे ही किसी एक रास्ते पर था, तभी उसे अचानक महसूस हुआ कि उसे यहाँ पर कार रोक देनी चाहिए। उसने कार से उतर कर चारों तरफ देखा। वह एक अर्ध-व्यावसायिक क्षेत्र था। चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। चहल-पहल एक दम बंद हो चुकी थी और अधिकांश घरों में अँधेरा दिख रहा था, ऐसा लग रहा था कि लोग सो गए हों। तभी उस युवक को फिर से कुछ लगा कि कोई उससे कह रहा है, जाओ और सड़क के उस पार जो घर है, वहाँ दूध देकर के आओ।
युवक ने घर की ओर देखा। घर में बिल्कुल अँधेरा था और ऐसा लग रहा था कि वहाँ पर कोई भी नहीं है और अगर है तो वे गहरी नींद में सो चुके है। युवक ने कार का दरवाजा खोला और फिर वापस कार की सीट पर बैठ गया। मन ही मन कहा, “भगवान, यह क्या पागलपन है। वे लोग सो रहे हैं और अगर मैं उन्हें जगाता हूँ, तो वे नाराज़ हो जाएँगे और मैं उन लोगों के सामने बहुत बेवकूफ़ दिखूँगा।”
लेकिन कुछ ही पल में उस युवक को फिर से लगा कि उसे जाकर उन्हें दूध दे देना चाहिए।
“ठीक है भगवान, अगर यह आपकी इच्छा है तो मैं जाकर के उन्हें दूध दे दूँगा। अगर आप चाहते हैं कि मैं एक पागल व्यक्ति की तरह दिखूं, तो ठीक है। मैं आज्ञाकारी बनना चाहता हूँ। मुझे नहीं मालूम इस के पीछे आपकी क्या इच्छा है। लेकिन अगर वे तुरंत जवाब नहीं देंगे, तो मैं वापिस आ जाउँगा।”
वह युवा गली के उस पार वाले घर में गया और घंटी बजाई। जब वह घर के पास पहुँचा तो उसे अंदर से कुछ आवाजें सुनाई दे रही थीं। कुछ ही देर में एक आदमी ने अंदर से पूछा, “कौन है? और आप क्या चाहते हैं?”
और अगले ही पल में उस युवक के सामने एक आदमी जींस और टी-शर्ट में खड़ा था। ऐसा लग रहा था कि वह अभी-अभी बिस्तर से निकला है। उसके चेहरे पर एक अजीब-सा भाव था और वह अपने दरवाजे पर किसी अजनबी को देख कर खुश नहीं था।
उस व्यक्ति ने पूछा, “आप क्या चाहते हैं?”
युवक ने दूध का गैलन बाहर निकाला और कहा, “यह लो, मैं इसे तुम्हारे लिए लाया हूँ।”
उस आदमी ने दूध लिया और जोर से स्पेनिश में बोलते हुए सीढ़ी से उतर कर एक कमरे में चला गया।
तभी उस कमरे से एक महिला वही दूध ले कर के निकली और पुरुष उसके पीछे एक बच्चे को पकड़े हुए था।
बच्चा रो रहा था। उस आदमी के चेहरे से आँसू बह रहे थे। रोते-रोते आदमी ने कहा, “हम तो बस दुआ कर रहे थे। इस महीने हमारी परिस्थितियाँ कुछ ऐसी हो गई कि हमारे सारे पैसे खत्म हो गए। हमारे पास इतने भी पैसे नहीं बचे थे कि हम अपने बच्चे के लिए दूध खरीद सकें। मैं बस प्रार्थना कर रहा था और भगवान से पूछ रहा था,” मै अपने बच्चे के लिए दूध कैसे लाऊँ?”
उसकी पत्नी जो कि रसोई में थी, वह बोली, “मैं भगवान से दूध लेकर एक देवदूत भेजने की प्रार्थना कर रही थी ……आप एक देवदूत हैं?”
उस युवक ने अपना बटुआ निकाला और अपने सारे पैसे निकाल कर उस आदमी के हाथ में रख दिये और अपनी कार में वापिस जाकर बैठ गया। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। अब वह अपने सारे प्रश्नों का उत्तर जान गया था।
भगवान अभी भी प्रार्थना का जवाब देते हैं और भगवान अभी भी हमसे बात करते हैं।
अपने स्वयं के विचारों से सावधान रहें क्योंकि हमारे सभी विचारों और कार्यों का कम्पन या तरंगों के द्वारा एक प्रभाव होता है, जो दुनिया भर में उस कंपन को फैलाता है।
हम ईश्वर के साधन या उपकरण बनकर जीवन के असल आनंद को पा सकते हैं।
“हमें सदैव केवल सर्वशक्तिमान एवं सर्वदृष्टा सर्वोत्तम मालिक की प्रार्थना, अपने मन को उसके प्रति प्रेम एवं विनय में पूर्णरूपेण डुबोकर तथा अपने को भी सर्वथा भुलाकर, करनी चाहिए। यही प्रार्थना करने का सही तरीका जो शायद ही कभी निष्फल होता हो।”
बाबूजी