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Surdas ki bhavishyavani

surdas ki bhavishyavani

सूरदास की भविष्यवाणी

ये सूरदास जी की भविष्यवाणी जो उन्होंने लिखी थी , ये आजकल के परिपेक्ष्य को दर्शाती है ! मैने इसे डिकोड तो नहीं किया है, क्यूंकि पढ़ने काफी चीजें खुद समझ आ जाती है !

हा जो पंक्तिया है ऊपर नीचे मॉडिफाई की गई है या छेड़ छड़ की गई है इस रचना को पर मिलाजुला पढ़ा जाये तो अक्षरतः सत्यता को दिखाती है !

सम्वत दो हजार के ऊपर ऐसा जोग परे
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
चहु दिशा काल फिरे
अकाल मृत्यु जग माही व्यापे
प्रजा बहुत मरे

सवर्ण फूल वन पृथ्वी फूले
धर्म की बेल बढे
सहस्त्र वर्ष लग सतयुग व्यापै
सुख की दया फिरे
काल जाल से वही बचे
जो गुरु ध्यान धरे
सूरदास यह हरी की लीला
टारे नहीं टरे

रे मन धीरज काहे न धरे
एक सहस्त्र नौ सौ के ऊपर
ऐसे योग परे
शुक्ल पक्ष जय नाम संवत्सर
छट सोमवार परे

हलधर पूत पवार घर उपजे
देहरी क्षेत्र धरे
म्लेक्ष राज्य की सगरी सेना आप ही आप मरे
सूर सबही अनहोनी होइयेहए जग में अकाल परे
हिन्दू मुग़ल तुरक सब नाशे
कीट पतंग जरे
मेघनाद रावण का बेटा सो पुनि जन्म धरे
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण चहु दिश राज करे

सम्वत दो हजार के ऊपर छप्पन वर्ष चढ़े
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण चहु दिश राज करे

अकालमृत्यु जग माहि व्यापे परजा बहुत मरे
दुष्ट २ को ऐसे मारे जैसे कीट जरे

माघ मास संवत्सर व्यापे सावन ग्रहण पड़े
उड़ी विमान अम्बर में जावे गृह २ युद्ध करे

मारुत विष में फेंके जग माहि प्रजा बहुत मरे
द्वादस कोस शिखा को जाकी, कंठ सु तेज धरे

सौ पे शुन्य २ सौ भीतर आगे योग पपरे

सहस्त्र वर्ष लो सतयुग बीते धर्म की बेल चढ़े

स्वर्ण फूल पृथ्वी पर फूले पुनि जग दिशा फिरे

सूरदास होने को होइ सो काहे को सोच करे

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