Dev Deepawali Kartik Purnima Guru Purab देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा और गुरु पूरब की हार्दिक शुभकामनाएं
|| देव दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ||
देव दीपावली का पर्व रोशनी के त्योहार दीपावली के 15 दिनों के बाद आता है | कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाती है, ये देश के विभिन्न राज्यों, विशेष रूप से वाराणसी में बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है |
मान्यता है कि इस दिन शिव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था और विष्णु जी ने मत्स्य अवतार भी इसी दिन लिया था |
इसलिए इसे देव दिवाली भी कहते हैं, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व है |
त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाए, यही कारण है कि आज भी हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में दिवाली मनाई जाती है, चूंकि ये दीवाली देवों ने मनाई थी, इसीलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है |
इस दिन छह कृत्तिकाओं का रात्रि में पूजन करना चाहिए, इस पूजा से संतान का शीघ्र वरदान मिलता है | ये छह कृत्तिकाएं हैं- शिवा, सम्भूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा, इनका पूजन करने के बाद गाय, भेंड़, घोड़ा और घी आदि का दान करना चाहिए | कृत्तिकाओं से संतान और सम्पन्नता प्राप्ति की प्रार्थना करनी चाहिए |
भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर का वध किया था, इसलिए इस दिन को ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है | शिव जी की विशेष पूजा से इस दिन तमाम मनोकामनाएं पूरी होती हैं | इस दिन उपवास रखकर शिव जी की पूजा करके बैल का दान करने से शिव पद प्राप्त होता है |
शिव ही आदि गुरू हैं, इसलिए इस दिन रात्रि जागरण करके शिव जी की उपासना करने से गुरू की कृपा प्राप्त होती है | गलतियों के प्रायश्चित के लिए भी इस दिन शिव जी की पूजा की जाती है |