Jitiya Vrat 2022 Date and Timing Vidhi जितिया जीवित्पुत्रिका व्रत तिथि समय और विधि
जितिया कब है
हर वर्ष आश्विन मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत करने का विधान है. व्रत सप्तमी से लेकर नवमी तिथि तक चलता है. पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है.
Jitiya जितिया व्रत कथा हिदी में
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आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 सितंबर को महिलाएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी। पुत्रों के दीर्घायु के लिए की जाने वाली जीवित्पुत्रिका व्रत इस बार माताओं के लिए काफी कष्टकारी होगा। माताएं अपने संतान की खुशहाली के लिए जीउतिया व्रत निराहार और निर्जला रखती हैं। व्रत को लेकर विद्वान संतों ने कहा है कि जीवत्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर को करना ही श्रेयस्कर होगा।
Jitiya जितिया व्रत कथा हिदी में
इस संबंध में गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम् के संत स्वामी लक्ष्मनाचार्य ने कहा कि चूकि 28 सितंबर को शाम 3 बजकर 5 मिनट में अष्टमी का आगमन है और 29 सितंबर को शाम 4:54 तक यह रहेगा। यह उदयकालीन एवं प्रदोष व्यापिनी सप्तमी रहित है। कथा में भी उपोष्य चाष्टमी राजन सप्तमी रहिता शिवा। यस्या मुदयते भानु पारण नवमी दिने। का जिक्र है। अतः इस प्रमाण के अनुसार जीवत्पुत्रिका व्रत का नहायखाय दिनांक 28 को होगा एवं व्रत 29 सितंबर को होगा। पारण दिनांक 30 को सुबह 6 बजकर 5 मिटन पर सूर्योदय के बाद करना है।
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Jitiya/Jivitputrika Vrat 2022 Date: जितिया पर्व महिलाओं के बेहद खास होता है. इस दिन वे संतान की लंबी उम्र की कामना से व्रत रखती हैं. इस व्रत को जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन व्रत नाम से जाना जाता है. ये व्रत तीन दिन तक चलता है.
Jitiya/Jivitputrika Vrat Pujan Vidhi जितिया व्रत पूजन विधि
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें.
Jitiya जितिया व्रत कथा हिदी में