संतो व कल्प वासियों ने बड़ी संख्या में लगाई त्रिवेणी तट पर पुण्य की डुबकी
प्रयागराज कपकपी छुड़ा देने वाली ठंड के बीच बृहस्पतिवार को पौस पूर्णिमा पर त्रिवेणी संगम तट पर देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई उन्हें ना तो ठिठुरन की चिंता हुई और ना ही किसी के चेहरे पर कोरोना वायरस भय लगा ।आस्था के रंग में रंगे संतो भक्तों ने पतित पावनी गंगा के दोनों तटों पर स्नान के साथ ही अन्य वस्त्र का दान किया। कहीं जयकारे गूंजते रहे तो कहीं दियो की लौ जलाकर मंगल कामना की जाती रही। माघ मेला के दूसरे सबसे बड़े स्नान पर्व पर आधी रात के बाद ही मेला क्षेत्र में वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस दौरान ट्रैक्टर ट्राली पर पुआल लकड़ी चूल्हा और गृहस्थी के सामान लेकर कल्प्वासी अलग मार्ग से अपने शिविरों में पहुंचते रहे ।इसी के साथ आम श्रद्धालुओं का भी रेला आधी रात से ही संगम की ओर बढ़ने लगा। लाल मार्ग काली मार्ग गांव त्रिवेणी मार्ग पर लंबी कतारें लग गई। भजननंदियो की टोलियां भी संगीत में संकीर्तन से पौष पूर्णिमा की ठिठुरन में भक्ति का रस बोल रही थी ।जो संगम की सर्कुलेटिंग एरिया में स्र्नानर्थी के माथे पर तिलक त्रिपुंड लगाने वाले पुरोहित भी हर किसी का ध्यान खींचते रहे ।इसी के साथ ही संगम में आस्था की डुबकी भोर से ही लगने लगे ।कल्प वासियों श्रद्धालुओं की भीड़ तो उमड़ी ही संतों की टोलियां भी स्नान के लिए दिनभर संगम पहुंचती रही।
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आस्था की जीत