संगम नोज पर गंगाजल में प्रदूषण बढ़ने से काले जल से कछुओं की मौत हो गई। कछुओं की मौत पर किसी भी अधिकारी ने मौके पर आना मुनासिब नहीं समझा। दारागंज ही नहीं नैनी झूंसी और फाफामऊ में नालों का गंदा पानी गंगा में सीधे गिराया जा रहा जिससे जलीय जंतुओं के जीवन पर संकट आ गया हैः रविवार दोपहर संगम नोज पर कछुए मरे पड़े मिले। छुट्टी मनाने वहां पहुंचे लोगों में से किसी ने कछुओं ऊपर फूल छोड़े ।किसी प्रवासी ने पक्षियों को खिलाने वाले सेव डाले । इस बीच वहां पहुंचे नाविक गंगाजल में उतर कर कछुआ तक गए उन्हें चप्पू से हिलाया लेकिन तब कछुए टस से मस नहीं हुए। नाविकों ने बताया कछुए जिंदा नहीं है गंगा में कछुओं की मौत की ख़बर से वहां जुटे लोग हैरत में पड़ गए नाविक की सहायता से दो कछुओं को गंगा की मुख्यधारा तक ले गए लेकिन उनमें कोई हलचल नहीं हुई मृतक कछुए मुख्यधारा से बहते हुए निकल गए वहीं संगम नोज पर एक कछुए का शव शाम तक उतराता रहा ।कछुआ की मौत का माघ मेला प्रशासन समेत किसी भी विभाग ने संज्ञान नहीं लिया मौके पर मेला प्रशासन विभाग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी पहुंचे तो कछुओं की मौत बारे में चल जाता। है जल की गुणवत्ता भी मापी जाती प्रदूषण की मात्रा के आंकड़े भी सामने आ जाते।
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