Jan Media TV

जनता की खबर , जनता तक

Advertisement

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना की सूचना मिलने पर माघ मेला में कल्पवास कर रहे श्रद्धालुओं के शिविरों में घबराहट, घनघनाते रहे कल्प वासियों के फोन

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना की सूचना मिलने पर माघ मेला में कल्पवास कर रहे श्रद्धालुओं के शिविरों में घबराहट, घनघनाते रहे कल्प वासियों के फोन
प्रयागराजः उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना की सूचना मिलने पर माघ मेला में कल्पवास कर रहे श्रद्धालुओं के शिविरों में घंटों मोबाइल फोन घनघनाते रहे श्रद्धालुओं के परिजन लगातार उनका हाल-चाल पूछते रहे। इधर आपदा का असर संगम तक पहुंचने की आशंका में शिविरों में सारे कल्पवासियों में भी बेचैनी देखी गई। लगभग 50,000 कल्पवासी साधु संतों को इस बात की चिंता रही कि यदि गंगा में जलस्तर बढ़ा तो क्या होगा और हम लोग कहां जाएंगे। माघ मेला क्षेत्र में रविवार को दोपहर बाद से कल्पवासी हो या साधु-संतों सभी उत्तराखंड की आपदा से परेशान दिखे।
चमोली जिले रैनी में रविवार सुबह ग्लेशियर फटने से धौली नदी में आई बाढ़ का असर प्रयागराज में भी आ सकता है ।इस संभावित खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन भी अलर्ट पर आ गया है। प्रयागराज में चल रहे माघ मेला को देखते हुए पूरे मेला क्षेत्र के लिए भी अलर्ट जारी कर दी। जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रखंड से भी 24 घंटे निगरानी के लिए बोला है। इस बीच अफसर हरिद्वार में आने वाले पानी पर भी नजर रखे हुए हैं। अफसरों का कहना है कि अगर हरिद्वार तक पानी स्थिर रहा तो प्रयागराज में इसका आंशिक असर होगा दूसरी ओर 11 फरवरी को माघ मेले के सबसे बड़े स्नान पर्व मोनी अमावस्या को देखते हुए मेरा प्रशासन ने गंगा तट पर बसे कल्पवासियों को दूर बसाने की तैयारी शुरू कर दी है ।हालांकि अफसरों ने यह भी कहा कि हरिद्वार में जल स्तर की स्थिति स्पष्ट होने के बाद आकलन किया जा सकेगा प्रयागराज में ग्लेशियर टूटने का कितना असर होगा। हरिद्वार से प्रयागराज तक पानी पहुंचने में कम से कम सप्ताह भर का समय लग जाएगा। ऐसे में 11 फरवरी को मोनी अमावस्या तक संकट नहीं होगा। अगर कुछ स्थिति खराब हुई तो बसंत पंचमी पर इसका असर जरूर पड़ जाएगा।
जलस्तर में वृद्धि हुई तो तेज बहाव से मेला क्षेत्र में बने पांटून पुलों को सुरक्षित करने का काम शुरू कर दिया गया है।अफसरों के मुताबिक श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए बनाए गए पुलों पर कानपुर से जल छोड़े जाने की सूचना के बाद आवागमन बंद कर दिया गया। पांटून पुलों के किनारों पर लगे पीपो को एक बार फिर लोहे के तारों से लंगर के सहारे बांधा जाने की कार्रवाई होगी ।पुल नंबर एक से इसकी शुरुआत होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *