मुंशी प्रेमचंद जी की अपनी पत्नी के साथ फोटो जिसमें उन्होंने फटे जूते पहेने हुवे हैं. इस फोटो को देखकर हरिशंकर परसाई जी ने एक एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था “सोचता हूँ—फोटो खिंचवाने की अगर यह पोशाक है, तो पहनने की कैसी होगी? नहीं, इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी—इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है। यह जैसा है, वैसा ही फोटो में खिंच जाता है।
यह पोशाक बदल भी नहीं सकता क्योंकि इसने भारत की जनता के मर्म को छुआ है इस की पोशाक के पीछे गोदान जैसे महाकाव्य की आदरांजली भी तो है
“महान् लेखक जी को सादर प्रणाम 🙏🙏🙏
🌹 पुण्य सरस देवात्मा को शत शत नमन करता हूंं।।



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