कोरोना महामारी और लॉक डॉउन से सभी हैं त्रस्त। किसी को दवा तो कोई रोटियों के लिए हैं परेशान ऐसे में क्या करें किसी को कुछ समझ नहीं है। बाहर निकले तो कोरोना का भय और घर में भूख बर्दास्त नहीं। ऐसे में तो वहीं पुरानी कहावत चरितार्थ होती नजर आती हैं। भई गति सांप छछुंदर की, लोग भंवर के मध्य में ऐसे फसे है जैसे नाविक समंदर के मध्य घनघोर तूफ़ान में फसा हों और बचने का कोई उपाय न हो,।।


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