Operation Kaveri Sudan : विपक्ष और मीडिया की संवेदनहीन चुप्पी
जय श्री राम, भारत माता की जय और बीच-बीच में मोदी जिंदाबाद के नारों से आकाश कई बार गूंजा। सर्वप्रथम दिल्ली में और फिर मुंबई में। भारत की धरती पर पैर रखते ही प्रवासी भारतीयों ने सरकार को धन्यवाद दिया और प्रधानमंत्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।ये हैं सूडान से लौटे प्रवासी, जिन्हें मोदी के प्रयासों ने मौत के मुंह से बाहर निकाला और वहां फंसे अन्य कई हजार को शीघ्र से शीघ्र भारत लाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। वो सफल भी हुए, मोदी हैं तभी सब कुछ मुमकिन है।कुछ पीछे चलें
सूडान गृह युद्ध की भयंकरता से उभरी मौत की छाया तले जिंदगी को तरसते लगभग साढ़े तीन हजार भारतीय। स्पष्ट नहीं था कि बचेंगे भी या नहीं ? क्या कोई बचाएगा, बचाने आएगा, कोई चमत्कार, ईश्वरीय कृपा या कोई फरिश्ता ?फिर एक किरण फूटी उम्मीद की, उन्हें सुरक्षित वहां से निकाल कर स्वदेश लाने के संकल्प के साथ आए मोदी ! ऑपरेशन कावेरीजब कई देश उहापोह के बीच फंसे थे, सूडान में 72 घंटे के युद्ध विराम में त्वरित एक्शन के सहारे भारतीयों को नेवी और वायु सेना से सऊदी अरब के जेद्दाह और वहां से भारत ! अब तक 2,000 से अधिक की वापसी।ऑपरेशन गंगा यह जरूर है कि रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच अपने प्रभाव और संबंधों का उपयोग कर मोदी जी ने जिस तरह युद्ध विराम करा कर ऑपरेशन गंगा के तहत भारतीय छात्रों को यूक्रेन से निकाला था, उस तरह की सीधी पहल यहां नहीं हो पाई ; क्योंकि सूडान में इस समय न कोई सरकार है, ना ही प्रशासन, ना शासन, ना अधिकारी और ना कोई और, जिसके माध्यम से युद्धरत मिलिट्री और पैरा मिलिट्री गुटों को युद्ध विराम के लिए राजी किया जा सके।राह कठिन थी, सो मोदी जी ने अपने प्रयासों की दिशा सऊदी अरब की तरफ मोड़ी। पता थापरिस्थिति जन्य संकेत और इधर-उधर बिखरे सबूत भी इसी बात की गवाही देते हैं कि युद्धविराम की जानकारी मोदी को पहले से थी।
प्रमाण : युद्धविराम की पूर्व संध्या पर ही उन्होंने भारतीयों को वहां से सुरक्षित निकालने का रोड मैप तैयार कर लिया था, सऊदी अरब के जेद्दाह में भारतीयों को सुरक्षित पहुंचाने की ट्रांसिट फैसिलिटी के रूप में सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त कर के।एक अन्य प्रमाण है मोदी की सबसे पहले की गई त्वरित कार्रवाई। अमेरिका से भी तेज गति से उन्होंने भारतीयों को भारी संख्या में वहां से बाहर निकालना शुरू किया, जबकि अमेरिका अभी तक थोड़े से ही अमेरिकियों को बाहर निकाल पाया है,, और फ्रांस जैसा शक्तिशाली आधुनिक देश अभी अपने देशवासियों को निकालने की तैयारियों में ही जुटा हुआ है।
आभार ऑपरेशन कावेरी की सफलता में सऊदी अरब के सहयोग और सहायता का उल्लेख करते हुए विदेश सचिव विजय मोहन क्वाट्रा ने कहा, हम उस देश के “आभारी हैं।” हमारी सफलता देखकर “सूडान में फंसे अनेक देशों के नागरिक भी हमसे सहायता मांग रहे हैं। हम हर संभव सहायता देंगे।”
उपेक्षा। और यहां अपने देश में ? ऑपरेशन कावेरी की सफलता पर चारों तरफ़ चुप्पी, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। अतीक के मारे जाने पर छाती पीटने वाले विपक्ष को जैसे सांप सूंघ गया है… और मीडिया द्वारा प्रवासियों की वापसी का केवल पासिंग रेफरेंस के रूप में ही उल्लेख। प्रिंट मीडिया का हाल तो और भी बुरा। टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे बड़े अखबार में संबंधित खबर को किसी भी दिन पहले पेज लायक नहीं समझा गया। प्रशंसनीयमोदी की सफलता जिनकी आंखों में कांटे की तरह चुभती है उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये लगभग साढ़े तीन हजार लोग भारतीय ही हैं, हमारे बीच के ही, हमारे अपने । उनका स्वागत, सम्मान, हमदर्दी, और खुशी का इजहार हमारा कर्तव्य भी है और धर्म भी। जरा सोचिएवो किस संकट से बाहर आए हैं, उनके सिर पर मंडराता खतरा कितना घना था, इसे समझने के लिए वहां से लौटी एक बेटी की यह व्यथा ही काफी है कि सूडान में “हम किसी भी पल मारे जा सकते थे।



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