संदिग्ध परिस्थितियों में बेटे की मौत की FIR नही लिख रही पुलिस, परिजन परेशान व हताश
15 दिन बीत जाने पर भी पुलिस का ढुलमुल रवैया संदेह की कहानी स्वयं बयां करता है। ना पोस्ट मार्टम न प्राथमिकी न ही परिजनों को सांत्वना।
यद्यपि पवनेश जी स्वयं पत्रकार है, और जागरूक होने के पश्चात लीपापोती पर जुटी प्रशासन।
पुलिस प्रशासन के इस रवैए से पत्रकारों में रोष व्याप्त है,
संदिग्ध एवं संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई उत्कर्ष की मौत परिजनों ने की निष्पक्ष जांच की मांग तो छोड़िए FIR भी दर्ज नहीं कर रही पुलिस प्रशासन ।
मुख्यमंत्री डीजीपी एवं पुलिस कमिश्नर से की लिखित शिकायत
कोचिंग पढ़ाने के लिए घर से निकला था उत्कर्ष
पचदेवरा रेलवे क्रासिंग से लगभग 400 मीटर पूरब की तरफ रेलवे ट्रैक पर जख्मी हालत में पड़ा मिला उत्कर्ष
ड्राइवर ने नहीं दर्ज कराया है कहीं भी एमआरओ
उत्कर्ष के पास से मोबाइल एवं पैसे गायब
प्रयागराज। 31 दिसंबर को हुई संदिग्ध परिस्थितियों में हुई उत्कर्ष की मौत पर परिजनों ने लिखित शिकायत करते हुए मुख्यमंत्री डीजीपी एवं पुलिस कमिश्नर से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है जिसकी मौत संदेहास्पद एवं संदिग्ध है।
उत्कर्ष उपाध्याय उम्र 18 वर्ष पवनेश उपाध्याय (सम्पादक पवन प्रभात हिन्दी दैनिक, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ) पुत्र डा.भगवान प्रसाद उपाध्याय (राष्ट्रीय संयोजक भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ, प्रधान सम्पादक पवन प्रभात दैनिक) निवासी ग्राम गंधियांव, थाना करछना, जनपद प्रयागराज का रहने वाला है। जो
B.Tech second year , प्रयाग इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बेन्दौ, का छात्र था। जो 31 दिसंबर 2022 की सुबह करीब 8:20- 8:25 बजे हर रोज की तरह घर से अपने विद्यालय (SBM पब्लिक स्कूल कोचिंग पढ़ाने) के लिए निकला । इसी बीच करीब डेढ़ घंटे बाद लगभग 09:40 – 09:45 तक अमित दुबे (95062 45977) ने मोबाइल के माध्यम से प्रार्थी व स्थानीय पुलिस को सूचना दी, कि पचदेवरा रेलवे क्रासिंग से लगभग 400 मीटर पूरब की तरफ रेलवे ट्रैक पर उत्कर्ष जख्मी हालत में पड़ा है । जब प्रार्थी व प्रार्थी के परिजन पहुंचे तो काफी भीड़ जमा थी बेटे को जख्मी हालत में देख प्रार्थी व परिजन अवाक रह बेसुध हो गए । सूचना के थोड़ी देर बाद पुलिस पहुंची घायल अवस्था में पड़े मेरे बेटे को बिना किसी अस्पताल में ले जाए पुलिस व कुछ स्थानीय लोगों ने स्वत: ही मृत घोषित कर पंचनामा की प्रक्रिया शुरू की l बेसुध पड़े प्रार्थी व प्रार्थी के परिजनों को इधर-उधर की बातों से विचलित कर पोस्टमार्टम ना कराने के लिए भी दबाव बनाया । प्रार्थी व प्रार्थी के परिजनों को घायल अवस्था में पड़े बेटे के पास जाने तक नहीं दिया इस प्रक्रिया में करीबन डेढ़ से दो घंटे का समय लगा । प्रार्थी व परिजनों से एक-एक करके गांव के ही कुछ लोगो के पंचनामें में हस्ताक्षर करवाएI लेकिन पुलिस ने पोस्टमार्टम नही कराया। तब तक शायद शरीर में बची अंतिम सांस भी जा चुकी थी तब बेटे का शरीर घर लाया गया उपरोक्त गणों ने ही आनन फानन में बिना घर के अन्य सदस्य और सगे सम्बन्धी के आये हुए ही अन्तिम संस्कार करवा दिया। इधर जब प्रार्थी व परिजन कुछ सदमे से सामान्य होने लगे तो उस समय खींची गई फोटो को देखने लगे। तब लगा कि यह दुर्घटना नही है, मौत संदिग्ध प्रतीत हो रही है। फिर प्रार्थी ने बेटे के बैग में चेक किया तो स्कूल फीस के उन्नीस हजार रू भी नही थे। जिसका मोबाइल नंबर 9373117237, 8303734763 माडल REALME 8S 5G ,IMEI नंबर 860971052214518 ,IMEI नंबर 860971052214500 है । तभी से गायब है, घटना के दिन से ही फोन स्विच आफ बता रहा है।
फोटो में देखा तो शव रेलवे ट्रैक के बीच में पेट के बल पड़ा है, । यदि ट्रेन की चपेट में आने से उत्कर्ष की मौत हुई होती तो एक नही दर्जनों चोट के निशान होने चाहिए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। जब दुर्घटना है तो मोबाइल व पैसे क्यों गायब हो गया । केवल दुर्घटना बता इसमें शामिल आरोपी बचना चाहते हैं । हम लोगों ने स्वत: ही न्यू ऊंचडीह स्टेशन से लेकर न्यू करछना स्टेशन तक (DFCC Track ) निरीक्षण किया स्टेशन से पता किया कोई MRO (Man Run Over) नहीं दर्ज है जैसा की स्टेशन से ही हमें अवगत कराया गया कि रेल दुर्घटना की हालत में ड्राइवर MRO (Man Run Over) दर्ज कराता है अपने आगे वाले स्टेशन पर सूचित करता इसलिए यह ट्रेन दुर्घटना नहीं है आरोपी हत्या को रेल दुर्घटना दर्शाकर बचना चाह रहा है। उत्कर्ष के परिजनों ने एकलौते बेटे की साजिशन हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर निष्पक्ष जाँच करा कर आरोपियों को गिरफ्तार कर न्याय दिलाने की कृपा की जाय।



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