वेद, स्मृति और पुराण में भेद
वेद यज्ञ और कर्मकण्ड का प्रमाण है ! गृहस्थों के लिए स्मृतियाँ ही प्रमाण है !
किन्तु वेद और स्मृति सम्यक रूप से पुराण में प्रतिष्ठित है ! जैसे परमपुरुष परमात्मा से यह अद्भुद संसार उत्पन्न हुआ है , वैसे ही संसार का वाह्य, साहित्य और पुराणों से उत्पन्न हुआ है, इसमें लेश मात्र भी संशय नहीं है !
वेदों में तिथि, नक्षत्र और काल निर्णायक और गृह संचार की कोई युति नहीं बताई गई है !
तिथियों की वृद्धि, क्षय, ग्रहण, पर्व आदि का निर्णय भी वेदों में नहीं है !
यह निर्णय सर्वप्रथम इतिहास पुराणों द्वारा ही निश्चित किया गया !
जो बातें और प्रमाण वेदों में नहीं वह स्मृतिओं में तथा जो इन दोनों में नहीं वह पुराणों में मिलता है !
Source : bhavishya puran



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