Sri Krishna Janmashtami श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
गीता : अध्याय ४, श्लोक ७-८।
जब जब होय धर्म की हानी,
बाढ़हिं असुर, अधम, अभिमानी,
तब तब प्रभु धर विविध शरीरा,
हरहि कृपानिधि, सज्जन पीरा।
रामचरितमानस : बालकाण्ड
भगवान श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण मानव जाति को यह आश्वासन देते हुए कहा है कि
जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात् साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। सज्जन पुरुषों की रक्षार्थ, पाप कर्म करने वालों को नष्ट करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में अर्थात् हर समय प्रकट होता हूँ।
आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर परमसत्ता के इस सङ्कल्प को स्वयं में अवतरित करें, जो हमारी समस्त बुराइयों को नष्ट कर दे।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Sri Krishna Janmashtami श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ



Leave a Reply