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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन या जनता के पैसे की अल्पअवधि चुनाव में बर्बादी – किसकी गलती ?

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रामनगर जनपद में आयोजित 3 दिवसीय भाजपा के चिंतन शिविर की समाप्ति के साथ ही उत्तराखंड में विधिवत चुनावी मौसम ने दस्तक दे दी है। उत्तराखंड भाजपा के दिग्गज नेताओ ने मंत्रणाओं के दौर के बाद उत्तराखंड में होने वाले चुनावों के संदर्भ में बूथ कार्यकर्ता से लेकर प्रधानमंत्री तक की भूमिका तय कर ली है। प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी जी की रैली नवम्बर में और भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी का उत्तराखंड दौरा जुलाई में तय होने की खबरे सुनी जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक जी ने कहा की 2017 में भाजपा ने प्रदेश की 57 सीटों पर विजय हासिल की थी और हम 2022 में 60 पार कर लेंगे। इस संदर्भ में चर्चाये हो चुकी है और पार्टी का ध्यान एक समान रूप से सभी 70 सीटों पर है। जुलाई में जिला स्तरीय बैठकों का दौर शुरू हो जाएगा और नवम्बर में प्रधानमंत्री जी के दौरे के बाद भाजपा राज्यस्तरीय यात्रा का आयोजन करेगी जिसमे भाजपा के वर्तमान 5 वर्षो के कार्यकाल की उपलब्धिया जनता तक पहुंचाई जाएगी।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने कहा की भाजपा प्रदेश में सवैधानिक संकट पैदा करती हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस के पूर्व परिवहन मंत्री नवप्रभात जी ने सेक्शन 151 A का उल्लेख करते हुए कहा की Representation of the People Act, 1951 के अनुसार “ऐसी स्तिथि जब पूर्ण चुनाव होने में 1 वर्ष से कम समय बच जाए तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकते”। इस प्रकार 9 मार्च को मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत जी चुनाव नहीं लड़ सकते। अब भाजपा के पास विकल्प के तौर पर नया मुख्यमंत्री घोषित करना या राष्ट्रपति शासन लगाना ही शेष बचता है। 9 मार्च को अचानक से मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत जी वर्तमान में गढवाल सीट से लोकसभा के लिए के लिए चुने गए है। 9 सितंबर तक उन्हें प्रदेश की किसी भी विधानसभा से चुनाव जीत कर विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी तभी वो मुख्यमंत्री के पद पर बने रह सकते है। और उन्हें गढ़वाल की लोकसभा सीट से त्यागपत्र भी देना होगा।
युवा सामाजिक कार्यकर्ता शिवकुमार राजपूत जी ने कहा की गढ़वाल की लोकसभा सीट में प्रदेश विधानसभा की 14 सीट शामिल की गई है। एक लोकसभा सीट पर चुनाव कराने का मतलब है की 14 विधानसभाओ में पुनः मतदान करवाना और दो विधानसभा सीटें विधायकों की आकस्मिक मृत्यु की कारण खाली हो गई है। इन सीटों पर भी दोबारा चुनाव व मतदान करवाने पड़ेंगे। इस प्रकार प्रदेश की 16 विधानसभाओ पर पुनः चुनाव की परीस्तिथि पैदा हो गई है।
इन 16 सीटों पर जिनमे से 14 सीटों पर एक लोकसभा सीट के लिए मतदान करवाया जाएगा और इसमें जो चुनावी खर्च आएगा वो प्रदेश की ईमानदार जनता की टैक्स की कमाई में से फिजूल खर्च और प्रदेश के राजस्व बर्बादी नहीं तो और क्या होगा ? कोरोना काल में जहा, प्रदेश की जनता रोटी और रोजगार को लेकर परेशान हो रही है और सरकार से उचित राहत पैकेज की उम्मीद लगाए बैठी है भाजपा ने एक प्रकार से अपनी आंतरिक फुट और नेताओ के व्यक्तिगत लालच को दबाने के लिए प्रदेश की जनता से इकट्ठा किये गए धन की बर्बादी के रास्ते खोल दिए है। यह भाजपा के कुशासन का एक और ज्वलंत उदाहरण है। दूसरी तरफ भाजपा की चुनावी तैयारियों के सामने कांग्रेस की तैयारियों के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की भाजपा सरकार को वैक्सीन टीकाकरण, और कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के उपायों के संबंध में तैयारियां करनी चाहिए। ऋषिकेश विधानसभा में 61000 अनुमानित छोटे बच्चे है और अभी तक केवल 17 कोरोना बेड की व्यवस्था की सूचनाए अखबारों में पढ़ी जा सकती है। पहाड़ पर कुछ दिन पूर्व बिना इलाज के दो महिलाओ की दुखद मृत्यु का समाचार सभी ने पढ़ा है। केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश की एयर एम्बुलेंस की मांग भी ठुकरा दी गई है और अब भाजपा प्रदेश में अपने शासनकाल की कौन सी उपलब्धियां गिनाने के लिए यात्रा का आयोजन करेगी।

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