Jan Media TV

जनता की खबर , जनता तक

Advertisement

*रिजर्वेशन और दलित राजनीति*

IMG 20210603 WA0003 1

रिजर्वेशन और दलित राजनीति

पहली बात तो ये रिजर्वेशन ही क्यों सबको पूर्ण रोजगार की व्यवस्था क्यो नहीं?
दूसरा ये की किसी भी पिछड़े शोषित वर्ग या विशेष जाती धर्म के आधार पर ही क्यों रिजर्वेशन मिलना चाहिए अगर रिजर्वेशन मिलना चाहिए तो जो खेतो में काम कर रहे हैं, रिक्शे ठेले घोड़े तांगे वाले तमाम प्राइवेट फैक्टरियों में धिहाड़ी ठेका पर काम कर रहे मजदूरों को रिजर्वेशन मिलना चाहिए तमाम बेघर सड़कों पर रह रहे लोगों को रिजर्वेशन मिलना चाहिए!
लेकिन समाधान रिजर्वेशन या भीख सुधार नहीं!
हम रिजर्वेशन के कतई पक्ष में नहीं है, हम तो सीधे कहते है आपसी प्रतिस्पर्धा और मुनाफे ओर 90% मेहनतकश जनता के दमन पर आधारित ये पूंजीवादी व्यवस्था इन सब समस्याओं की जड़ है इसको खत्म करने और सबको रोजगार सामान और बाकी सामाजिक सुरक्षा पर आधारित समाजवादी राज्य कायम करने विश्व सर्वहारा समाजवादी क्रांति के नायक मार्क्सवाद लेनिनवाद ओर शहीद भगत के सपनों का भारत बनाने उन अधूरे कामो ओर सपनों को पूरा करने के लिए उस रास्ते पर आगे बढ़ो!
सवाल ये रिजर्वेशन हम किससे और क्यो मांग रहे है?
माल का उत्पादन और उसे तैयार करने का सारा काम देश की 90% आम मेहनतकश जनता और मजदूर किसान कर रहें है। पूरी की पूरी व्यवस्था को तो सभी सरकारी गैर सरकारी और ज्यादा तर प्राइवेट धिहाड़ी ठेका संविदा के छेत्र में लगे मजदूर चला रहें है! मेहनतकश गरीब मजदूर किसान वर्ग पूरी दुनिया को चला रहे हैं वे ही समाज के वास्तविक पोषक हैं और बो ही शोषित हैं और उनका ही शोषण हो रहा है और वैसे भी देश की 70-80% संपत्ति 1% देशी विदेशी धनकुबेरों के कब्जे में है! राजनीतिक और आर्थिक सत्ता व्यवस्था तो इन्हीं कुछ मुठ्ठी भर धनपशुओं के नियंत्रण में है! समस्या विकट है लोग आंदोलन कर रहे हैं उतर रहे हैं सड़कों पर निरंकुश शाशन के खिलाफ!
अब कुछ दलील दे रहे है पूंजीपतियों कि सभी छोटी बड़ी पार्टियां भाजपा कांग्रेस से लेकर सपा बसपा तो कह ही रही हैं वाम पार्टियां भी यहां तक कि प्राइवेट सैक्टर मे रिजर्वेशन की बात कर रही हैं इसी में कुछ सुधार पानी कर लेने कि बात कर रही हैं !
अरे फिर भी तो समस्या बरकरार रहेगी!

रिजर्वेशन क्या है?

आखिर सरकारी नौकरी है ही कितनी, सारे विभागों की नौकरियों को मिलाकर कुल 2.50 करोड़ नौकरियां अब बची हैं!
और अबतो बो नौकरी भी नही बची इन सरकारी नौकरियों के करोडो पद सारे विभागों को ओने पोने दामों पर देशी विदेशी पूंजीपतियों को बेचकर वे भी खत्म कर दिए गए आने वाले दिनों में सारा सरकारी छेत्र ही खत्म उसमे भी वर्षों से लाखों नौकरियां के स्थान रिक्त पड़े हैं अगर सारे रिजर्वेशन को भी लागू किया जाए तो भी तो रोजगार सबको नहीं मिलेगा ना उतने ही लोगो को रोजगार मिलेगा जितने कि उनको जरूरत है मतलब जितने लोगों की जरूरत पूंजीपतियों को अपनी मुनाफे पर आधारित निजी व्यवस्था को चलाने के लिए चाहिए, लेकिन बाकियों का क्या होगा? और देश की 70 करोड़ युवा आबादी में करीब 45-50 करोड़ पढ़े लिखे नौजवान बेरोजगारी में धक्के खा रहें हैं!
लेकिन सवाल ये है कि आपके हिसाब से उनको कैसे और किस रास्ते रोजगार मिले? हम सबको रोजगार मिलने की बात कर रहें हैं, ना कि किसी खास जाति धर्म नस्लीय कुछ विशेष व्यक्तियों की या एक राष्ट्र की?
??????????

(सुशील कुमार सोशलिस्ट)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *