इलाहाबाद हाईकोर्ट की विद्युत कंपनियों को खरी-खोटी सुनाई और कहां सिंचाई के लिए किसानों को दे बिजली
प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत दी । कोर्ट ने विद्युत कंपनियों को सिंचाई के लिए निर्बाध विद्युत आपूर्ति करने और सभी DM को ट्यूबवेलों की मरम्मत और देखरेख करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा है कि खेती की सिंचाई के लिए बिजली न देना संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है, कृषि व्यवसाय प्रभावित होता है।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकारी एजेंसी का दायित्व है कि खेती की सिंचाई के लिए बिजली आपूर्ति अनवरत जारी रखे और ट्यूबवेल की मरम्मत व देखरेख करे। कोर्ट ने बांदा के जिलाधिकारी को ट्यूबवेल की देखरेख करने का आदेश दिया। यह आदेश चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस एस एस शमशेरी की खंडपीठ ने नाथू प्रसाद कुशवाहा और 14 अन्य की जनहित याचिका को निस्तारित (निपटारा) करते हुए दिया।
याचिकाकर्ता का कहना था कि ट्यूबवेल का कनेक्शन अक्सर कटा रहता है। साथ ही ट्यूबवेल की भी मरम्मत नहीं की जाती मरम्मत के लिए कोई एजेंसी नहीं है जिसके कारण खेती में पानी नही मिल पाता है और फसलों को भारी नुकसान होता है। इसपर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी तो बताया गया कि विद्युत कनेक्शन जोड़ दिया गया है। याची ने कहा कि अक्सर कनेक्शन कट जाता है और मरम्मत नहीं की जाती है। इसपर कोर्ट की तरफ से प्रदेश की सभी विद्युत वितरण कंपनियों और सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किये गए साथ ही यह कहा गया है कि सिंचाई के लिए विद्युत आपूर्ति निर्बाध रूप से चालू रखी जाए


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