सामाजिक परिवर्तन क्या है, सामाजिक परिवर्तन की आवश्यक्ता क्यो और यह कैसे होता है?
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@)सामाजिक परिवर्तन क्या है, सामाजिक परिवर्तन की आवश्यक्ता क्यो और यह कैसे होता है?*
आधुनिक संसार में प्रत्येक क्षेत्र में विकास हुआ है तथा विभिन्न समाजों ने अपने तरीके से इन विकासों को समाहित किया है, उनका उत्तर दिया है, जो कि सामाजिक परिवर्तनों में परिलक्षित होता है। इन परिवर्तनों की गति कभी तीव्र रही है कभी मन्द। कभी-कभी ये परिवर्तन अति महत्वपूर्ण रहे हैं तो कभी बिल्कुल महत्वहीन।
कुछ परिवर्तन आकस्मिक होते हैं, हमारी कल्पना से परे और कुछ ऐसे होते हैं जिसकी भविष्यवाणी संभव थी। कुछ से तालमेल बिठाना सरल है जब कि कुछ को सहज ही स्वीकारना कठिन है। कुछ सामाजिक परिवर्तन स्पष्ट है एवं दृष्टिगत हैं जब कि कुछ देखे नहीं जा सकते, उनका केवल अनुभव किया जा सकता है। हम अधिकतर परिवर्तनों की प्रक्रिया और परिणामों को जाने समझे बिना अवचेतन रूप से इनमें शामिल रहे हैं।
जब कि कई बार इन परिवर्तनों को हमारी इच्छा के विरुद्ध हम पर थोपा गया है। कई बार हम परिवर्तनों के मूक साक्षी भी बने हैं। व्यवस्था के प्रति लगाव के कारण मानव मस्तिष्क इन परिवर्तनों के प्रति प्रारंभ में शंकालु रहता है परन्तु शनैः उन्हें स्वीकार कर लेता है।
सामाजिक परिवर्तन, समाज के आधारभूत परिवर्तनों पर प्रकाश डालने वाला एक विस्तृत एवं कठिन विषय है। इस प्रक्रिया में समाज की संरचना एवं कार्यप्रणाली का एक नया जन्म होता है। इसके अन्तर्गत मूलतः प्रस्थिति, वर्ग, स्तर तथा व्यवहार के अनेकानेक प्रतिमान बनते एवं बिगड़ते हैं। समाज गतिशील है और समय के साथ परिवर्तन अवश्यंभावी है।
सामाजिक परिवर्तन भी धर्मान्तरण के समान होता है जैसे हम एक घर्म से दूसरे धर्म मे परिवर्तित होते हैं। लेकिन इसमें भी सामाजिक स्तरीकरण संबंधी कमीया रह जाती है। कार्ल मार्क्स जैसे महान विचारक ने समाज से इस दुविधा को सदा के लिए दूर किया।
साम्यवाद, कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा प्रतिपादित तथा साम्यवादी घोषणापत्र में वर्णित समाजवाद की चरम परिणति है। कम्युनिस्ट एक ऐसी राजनीतिक और आर्थिक सिद्धांत है, जो सरकार के लिए ऐसी प्रणाली की वकालत करता है, जहां लोग खोज करें और खोज कर्ताओं की सम्पूर्ण संपत्ति जनता और सरकार के स्वामित्व में रहे।
उत्तराखंड के पूर्ण सरकारी स्कूलो में दोपहर का भोजन प्रदान करना भी समतावादी मूल्यो के प्रसार में भी सहायक सिद हो सकता है। क्योकि कक्षा में विभिन्न सामाजिक पृष्टभूमि वाले बच्चे साथ साथ खाना खाते है। विशेष रूप से मध्याळ् भोजन स्कूल में बच्चों के मध्य जाति व वर्ग के अवरोध को मिटाने में सहायक सिद्ध हुआ है।
स्कूल की भागीदारी में लैंगिंग अंतराल को भी यह कार्यक्रम कम कर सकता है। सुनियोजित मध्याह्व भोजन बच्चो को विभिन्न अच्छी आदते डालने के अवसर के रूप में लाया जा सकता है। यह कार्यक्रम कार्ल माक्स की समतामूलक व वर्ग विहीन समाज के सिद्धांत पर निर्भर करता है।
पुराने धार्मिक, राजनैतिक, तथा एतिहासिक बर्चस्व
के प्रतिमानों को ध्वस्त कर एक नए वर्गहीन व समतामूलक समाज की स्थापना की जाएगी, न्याय से कोई बंचित नही रहेगा।
** साम्यवाद **को सामाजिक राजनितिक दर्शन में एक विचारधारा के रूप में वर्णित किया गया है जिसमे संरचनात्मक स्तर पर एक समतावादी वर्गहींन समाज की स्थापना की जाएगी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) भारत के मजदूर वर्ग का क्रांतिकारी मोहरा है। इसका उद्देश्य सर्वहारा वर्ग की तानाशाही की स्थिति की स्थापना के माध्यम से समाजवाद और साम्यवाद है। अपनी सभी गतिविधियों में पार्टी को मार्क्सवाद-लेनिनवाद के दर्शन और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाता है, जो मेहनतकश जनता को मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण, उनकी पूर्ण मुक्ति का सही तरीका दिखाता है। पार्टी सर्वहारा अंतर्राष्ट्रीयतावाद के बैनर को ऊँचा रखती है।
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@भारत में साम्यवादी दल की स्थापना कब हुई थी?
@)* साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था है , कैसे?*
@)समाजवाद और साम्यवाद में क्या अंतर है?
@)समाजशास्त्र में सामाजिक नियंत्रण किसे कहते है? परिभाषित कीजिए?
@) समाजशास्त्र में सामाजिक प्रक्रिया को समझने के लिए अपने आस -पास केआवश्यक साधनों की विवेचना कीजिए?
मार्क्सवाद धर्मान्तरण व धर्मभ्रष्ट करने वाली विचारधारा का नाम नही है।
मार्क्सवाद एक नई आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था की विचारधारा का नाम है।
Balwant singh pargai
साम्यवादी
Balwant singh pargai.
CPI (M) uttarakhand | party elections campaigns worker.
Bageshwar, uttarakhand,
7088530163 balwant.singh.pargai@gmail.com













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