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तीन खिलौनों का रहस्य
एक आदमी यात्रा करते हुए खिलौने बेचने का काम करता था। एक दिन वह एक ऐसे राज्य में जा पहुँचा जहाँ उसे पता चला कि वहाँ के राजा को नए व अनोखे खिलौने देखना पसंद है।
वह राजा के महल में गया जहाँ दरबार चल रहा था और उनसे कहा, “आज मैं आपको ऐसे खिलौने दिखाऊंगा जो आपने आज से पहले कभी नहीं देखे होंगे।”
राजा ने उसे अपने खिलौने दरबार में पेश करने की अनुमति दी।
खिलौना विक्रेता ने अपने बक्से से तीन खिलौने निकाले जो समान मानव आकृतियों के थे और उन्हें राजा के सामने रख दिया और कहा, “ये खिलौने अपने आप में बहुत खास हैं। ये दिखते तो एक जैसे हैं लेकिन वास्तव में बहुत अलग हैं।”
उसने एक-एक करके खिलौनों की ओर इशारा किया और कहा, “पहले खिलोने का मूल्य एक हजार सोने के सिक्के है, दूसरे का मूल्य एक सौ सोने के सिक्के है, और तीसरे का मूल्य केवल एक सोने का सिक्का है।”
राजा ने उन तीनों खिलौनों को बहुत ध्यान से देखा। उन्हें तीनों में कोई अंतर नहीं दिखाई दिया और वे सोचने लगे कि कीमत में इतना अंतर क्यों है!
कोई अंतर न पाकर राजा ने अपने मंत्रियों से अंतर ज्ञात करने को कहा। मंत्रियों ने उन खिलौनों को चारों ओर से देखा लेकिन रहस्य को सुलझा नहीं पाए।
तब राजा ने शाही पुजारी {शिक्षक} से पूछा। पुजारी ने उन खिलौनों को बहुत ध्यान से देखा और तीन तिनके लाने का आदेश दिया।
जब तिनके आए तो पुजारी ने पहले खिलौने के कान में तिनका डाला। सभी ने देखा कि तिनका सीधा पेट में चला गया और थोड़ी देर बाद खिलौने के होंठ हिले और फिर बंद हो गए।
अब उन्होंने दूसरे तिनके को अगले खिलौने के कान में डाल दिया और इस बार सभी ने देखा कि तिनका दूसरे कान से निकल रहा था और इसके अलावा कोई हलचल नहीं थी।
यह देख सभी की उत्सुकता बढ़ गई कि आगे क्या होगा।
अब पुजारी ने तीसरे खिलौने के कान में तिनका डाला और उसका मुंह एक ही बार में खुल गया और लगातार हिलता रहा, जैसे कि वह कुछ कहना चाहता हो।
यह देखकर राजा ने शाही पुजारी से पूछा, “यह सब क्या है और इन खिलौनों की कीमत में इतना अंतर क्यों है?”
पुजारी ने उत्तर दिया, “चरित्रवान आदमी सुनी हुई बात हमेशा अपने भीतर रखता है। और उसकी पुष्टि करने के बाद ही वह अपना मुंह खोलता है। यही उसकी महानता है। पहले खिलौने से हमें यही ज्ञान मिलता है और इसलिए इसका मूल्य एक हजार सोने के सिक्के है।
कुछ लोग हमेशा अपने आप में ही मग्न रहते हैं और बाकी सब बातों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। उन्हें दूसरों का ध्यान या प्रशंसा पाने की कोई इच्छा नहीं होती है। ऐसे लोग कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। दूसरे खिलौने से हमें यही ज्ञान मिलता है और इसलिए इसका मूल्य एक सौ सोने के सिक्के हैं।
कुछ लोगों के कान कमजोर होते हैं और उनका मुंह ढीला होता है। कुछ भी सुनने के बाद, बिना यह जानने की कोशिश किए कि वह बात सच है या नहीं, लोगों को आगे बताने लग जाते हैं। और समाज में झूठा ज्ञान फैलाते हैं। इसलिए इसकी कीमत सिर्फ एक सोने का सिक्का है।”
“हम अपने जीवन की सचेत गतिविधियों में जो भी गलतियां करते हैं उनमें से ज्यादातर गलतियां इस कारण से उत्पन्न होती हैं कि हम क्या बोलते हैं और कैसे बोलते हैं।”








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