कृष्ण ने मोहिनी रूप धर किन्नरों के देवता अरावन से किया था विवाह!
आपने शायद ही किन्नरों का विवाह देखा होगा , ऐसी मान्यता है कि किन्नर अरावन से विवाह करते हैं और अरावन ही किन्नरों के देवता हैं ।लेकिन अगले ही दिन अरावन देवता की मृत्यु के साथ ही किन्नरों की विवाह भी खत्म हो जाती है। किन्नर अरावन देव से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अगले जन्म में सामान्य इंसान के रूप में जन्म दें, किन्नर समुदाय के अपने नियम और कानून होते हैं । अरावन देवता का संबंध दक्षिण भारत के तमिलनाडु से है ,अरावन देवता पर अगाध भक्ति के कारण ही किन्नरों को दक्षिण भारत में अरावनी कहकर भी पुकारा जाता है ।किन्नरों के इस रीति रिवाज का सम्बन्ध महाभारत काल की कथा से है ।
किन्नरों के विवाह की कथा: माना जाता है कि ,तमिलनाडु के अरावन देवता अर्जुन के पुत्र हैं, एक बार अर्जुन ने द्रोपदी से शादी की एक शर्त का पालन नहीं किया , जिस कारण अर्जुन को इंद्रप्रस्थ से निष्कासित कर दिया गया और एक साल की तीर्थयात्रा जाने का आदेश दिया गया , इस यात्रा के समय अर्जुन उत्तर पूर्व भारत में जाते हैं।
जहां की उनकी मुलाक़ात एक विधवा नाग राजकुमारी उलूपी से होती है , अर्जुन इस कन्या से विवाह कर लेते हैं , विवाह के बाद उलूपी एक पुत्र को जन्म देती है जिसका नाम अरावन रखा जाता है. अरावन के जन्म के बाद अर्जुन पत्नी और पुत्र को छोड़कर आगे की यात्रा आरंभ करते हैं ।युवा होने पर अरावन नागलोक छोड़कर अपने पिता अर्जुन के पास आते हैं , लेकिन तब कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध चल रहा होता है इसलिए अर्जुन अरावन को युद्ध करने के लिए रणभूमि में भेज देते हैं।
युद्ध में जीत के लिए पांडवो को मां काली के चरणों में एक नर बलि देनी होती है जिसके लिए एक राजकुमार की जरुरत पड़ती है ,लेकिन कोई भी राजकुमार आगे नहीं आता है । तब अरावन अपनी बलि देने कै लिए तैयार हो जाते हैं , साथ ही एक शर्त भी रखते हैं कि वो अविवाहित नहीं मरेंगे !
कोई राजा अपनी पुत्री देने को तैयार नहीं होते हैं क्योंकि एक दिन के बाद राजकुमारी का विधवा होना तय था । तब श्रीकृष्ण मोहिनी रूप धर कर अरावन से विवाह करते हैं और अरावन के मृत्यु के पश्चात विधवा विलाप भी करते हैं। कृष्ण पुरुष होते हुए स्त्री रूप में अरावन से शादी रचाते हैं इसलिए किन्नर, जो स्त्री रूप में पुरुष माने जाते हैं, भी अरावन से एक रात की शादी रचाते हैं और उन्हें अपना आराध्य देव मानकर उपासना करते हैं. तमिलनाडु के कूवगम में अरावन का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में अरावन देवता के शीश की पूजा की जाती है।



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