Shardiya Navratri 2021 date : do and dont list also
शारदीय नवरात्री का प्रारम्भ इस बार २०२१ में गुरुवार को आरंभ हो रहा है, इसका अर्थ ये है कि माता डोली पर सवार होकर आएंगी और हाथी पर सवार होकर जाएँगी ! डोली पर सवार होकर आना अनिष्ट का संकेत देता है ! इसलिए हो जाए पहले से सावधान !
पुरे शास्त्रोंक्त विधि अनुसार ही शारदीय नवरात्री पूजा करे !
डोली में सवार होकर आना कई चीजों को दर्शाता है जिनमें अत्यधिक बाढ़ आना बाढ़ संभावित इलाकों में, सर्दी जुखाम आदि बिमारियों से खुद और परिजनों का पहले से बचाव करे !
अनावश्यक भू स्खलन बाढ़ प्राकृतिक परिवर्तन आदि देखने को मिलेगा !
लेकिन खुद को मजबूत करें और देवी आराधना पूरी निष्ठां के साथ करें ! एक जुट होकर इन परिस्थितित्यों से निपटा जा सकता है !
व्रत करने वाले भूलकर भी न करें ये गलतियां नवरात्री में
शारदीय नवरात्री में अखंड ज्योत जलाया है तो घर खाली छोड़ कहीं न जाएँ !
शारदीय नवरत्रि में नाखून नहीं काटें !
शारदीय नवरात्री में बाल और दाढ़ी न बनवाये !
शारदीय नवरात्री में प्याज लहसुन और मांस वर्जित होता है !
शारदीय बिना धुले कपडे न पहने !
शारदीय बेल्ट चमड़े की चीजे न उपयोग करें !
शारदीय निम्बू नहीं काटें !
शारदीय व्रत में दिन में न सोये !
शारदीय फलहार करने में एक जगह बैठ कर करें !
शारदीय दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है तो अधूरा छोड़ न उठे !
शारदीय नवरात्री २०२१ शुभ दिनों की शुरुआत कब और कैसे ?
शारदीय नवरात्री शुभ फलों को देने वाली नवरात्रे जो शारदीय माह शुरू में होते है 7 october २०२१ से 15 october २०२१ तक मनाई जाएगी !
यह नौ दिनों का व्रत माँ दुर्गा के नव रूपों को दर्शाती है और प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के निश्चित स्वरूप की विशेष पूजा अर्चना को प्रदर्शित करती है जो की इस प्रकार है !
शारदीय नवरात्रि की तिथियां २०२१
घटस्थापना – कलश स्थापना – 7 अप्रैल २०२१ स्थापना का विशेष समय –
पहला दिन – शैलपुत्री – 7 october 2021
दूसरा दिन – ब्रह्मचारिणी – 8 october 2021
तीसरा दिन – चंद्रघंटा – 9 october 2021
चौथा दिन – कूष्मांडा- 9 october 2021
पांचवां दिन – स्कंदमाता – 10 october 2021
छठा दिन – कात्यायनी – 11 october 2021
सातवां दिन – कालरात्रि – 12 october 2021
आठवां दिन – महागौरी – 13 october 2021
नौवां दिन – सिद्धिदात्री – 14 october 2021
दसवाँ दिन – दशमी पारण – 15 october २०२१
नौ साल की बच्चियाँ माँ दुर्गा का रूप – चैत्र नवरात्री माँ के नवरूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है ! ऐसी मान्यता है की नौ साल से छोटी बच्चियों को माँ के विभिन्न रूपों का स्वरूप मान कर उनकी पूजा की जाती है !
कई वर्ती ऐसे होते है जो नौ दिनों का उपवास रखते है ! नव दिनों के इस खास पर्व पर कई लोग बिना अन्न और जल व्रत कर माँ दुर्गा की आराधन करते है और दसवें दिन पारण का प्रावधान है !
हठ योग और नवरात्री पर्व – ऐसा देखा जाता है की नवरात्री पर कई लोग मन्नत के अनुसार हठ व्रत करते है ! कई लोग बिना अन्न जल, तो कई हाथों पर जंत्री उगा लेते है ! कई विशेष हठ द्वारा माँ नव दिनों का विधिवत पालन करते है !

हर दिन माँ के स्वरूपों को भिन्न भिन्न रंगों, कपड़ो और आभूषणों से सजाया है ! भिन्न भिन्न तरह के भोग प्रतिदिन चढ़ाये !
अखंड लौ – अधिकांश लोग माता के घर में बने मंदिर में अखंड लौ प्रज्वलित करते है ! यह लौ पुरे नवरात्रे कभी भी बुझने नहीं देते ! अखंड लौ को जला ने की पद्द्ति काफी पुरानी है और अखंड लौ एकता का प्रतीक माना जाता है !
जगराते या जागरण – जगराते या जागरण – जगराते या जागरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें घर और आस पास के मिलकर रात भर जागरण करते है ! इस प्रक्रिया का मतलब है लोग सब भौतिक सुखो को भूल अंतरमन से ईश्वर की भक्ति में लगे ! रात भर इकट्ठे होकर मन को ईश्वर के ध्यान में केंद्रित करें ! रात भर के इस प्रकरण में लोग भजन और कीर्तन को प्रमुख जरिया मानते है ! जगराते या जागरण लोगों को वैमनस्य भूला कर शांति और सत्पथ की ओर अग्रसित करता है!
कलश स्थापना – कलश स्थापना का अपना महत्तव है ! नव दिनों तक ताँबे या मिटटी के कलश में या किसी भी शुद्ध पत्र में गंगाजल डाल कर उसमें पंच रत्नो और पञ्च तत्वों मिश्रण पूजन के बाद दिव्य गुणों के साथ सात्विकता देता है और इस जल को जब पुरे घर में छींटा जाता है तो घर, मंदिर के तुल्य हो जाता है !


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