के एन नैनवाल (बागेश्वर ) , चंडीस द्वारा वसाये गयी महादेव (शिव) की नगरी बागेश्वर व त्रिवेणी संगम व नील और भील पर बसे बागेश्वर को कुमाऊँ की काशी के नाम से विख्यात यह नगर सरयु व गोमति व अदृष्य स्रस्वति के तट पर स्थित कत्यूरी व चंद राजाओ द्वारा बाबा बागनाथ मंदिर का मंन्दिर का निर्माण16वी शताब्दी में के लगभग का बताया जाता है आज सावन के तीसरे सोमवार को श्रद्धालुओ ने बाबा बागनाथ (शिव )का जला अभिशेक किया। व पूजा अरचना की बताया जाता है कि शिव परायण के अनुसार भगवान शिव व माता पार्वाती भू लोक की यात्रा मे आते है महीने भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस महीने पड़ने वाले सोमवार व्रत का भी काफी महत्व माना जाता है। शिव पुराण के अनुसार जो व्यक्ति सावन सोमवार के व्रत रखता है भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कोई भी उपवास बिना व्रत कथा के अधूरा माना जाता है। बागेश्वर जनपद स्थित बागनाथ मन्दिर में श्रद्धालुओ का ताता लगा रहा । इस मन्दिर के दर्शन के लिए लोग दूर -दूर से आते है और श्रद्धालुओ की मनोकामनाएँ भी पूर्ण होती है और पूण्य के भागीदार होते है। यहा पुजारी नन्दन सिह रावल ने वताया कि बाबा वागनाथ की अराधना व जलाभिषेक से ब्यस्त कष्ट दूर होते है और पुण्य के भागी होते है


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