पढ़ने से पहले… धीरे से अपनी आँखें बन्द करें… और अपने माँ के पवित्र प्रेम को महसूस करें…
पिंजरे में तोता
एक दिन दस साल का एक बच्चा अपनी माँ से एक सवाल पूछता है, “माँ हमारा तोता हमेशा हमसे दूर उड़ने को क्यों आतुर रहता है? वह अपनी जगह पर खुश क्यों नहीं लगता? मैं उसे इतना प्यार देता हूँ, उसकी पसंद का खाना खिलाता हूँ, उसकी इतनी देखभाल करता हूँ, उसे बाहर के जानवरों से बचाता हूँ, बाहर भी घुमाता हूँ, फिर भी वह मुझसे दूर क्यों जाना चाहता है?”
तब महिला ने बहुत ही प्यार से जवाब दिया, “बेटा पहले एक खेल खेलते हैं और उसके बाद मैं इस सवाल का जवाब दूँगी, ठीक है ना?”
बच्चा उत्तर जानने के लिए उतावला तो था, लेकिन वह मान गया।
माँ ने कहा, “बेटा, आज तुम्हें इसी कमरे में रहना होगा, मैं तुम्हें सब कुछ तुम्हारे कमरे में लाकर दूँगी। तुम्हारे पसंद के खिलौने, पसंद का खाना, अच्छा बिस्तर और वह सब कुछ जो तुम्हें पसंद है।” बच्चा उत्साहित और खुश होकर मान गया और बोला “माँ मुझे सब कुछ मिल जाएगा ना?”
महिला ने कहा, “हाँ बेटा! लेकिन एक शर्त है, तुम्हें इस कमरे से बाहर नहीं जाना है, ठीक है ना?”
बच्चा राज़ी हो गया और बोला, “माँ मुझे बाहर निकलने की ज़रूरत ही नहीं है, मैं कमरे में बहुत खुश हूँ! आप सब कुछ जो मुझे पसंद है वह लाकर दोगे तो मैं कमरे से बाहर आने के बारे में सोचूंगा भी क्यों?”
महिला मुस्कुराई और कहा, “ठीक है, तुम मौज करो।”
एक घंटे के बाद महिला ने अपने बेटे के कुछ दोस्तों को घर में खेलने के लिए बुलाया। उनके बेटे ने दोस्तों को देखा लेकिन नज़रअंदाज कर दिया क्योंकि वह कमरे में आनंद ले रहा था।
तीन घंटे के बाद बच्चा थक गया और कमरे से बाहर आना चाहता था, लेकिन महिला ने कहा, “नहीं बेटा, तुम्हें और क्या चाहिए मुझे बताओ, मैं तुम्हें सब लाकर दूँगी लेकिन तुम कमरे से बाहर नहीं आ सकते।”
फिर बच्चा उदास हो गया और एक घंटे बाद रोने लगा और बोला, “मुझे कुछ नहीं चाहिए माँ, बस मैं इस कमरे से बाहर आना चाहता हूँ और मैं जिस तरह से चाहूँ वैसे मज़े लेना चाहता हूँ, मैं आज़ाद होना चाहता हूँ। कृपया मुझे बाहर निकालो।”
महिला ने उसे बाहर निकाला और बेटे से पूछा, “क्या हुआ? मैंने तुम्हें वह सब कुछ दिया जो तुम्हें चाहिए था, मैं तुम्हारे साथ थी, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, फिर भी तुम उदास हो और रो रहे हो, क्यों?”
तब बच्चे ने नम आँखों से उत्तर दिया और कहा, “माँ यह कैसा प्यार और देखभाल है? मैं वह नहीं कर पा रहा था जो मुझे पसंद है। मैं आपके द्वारा खींची गई इस सीमा से बाहर नहीं जा सकता था। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं तोते की तरह पिंजरे में हूँ। और आप पूछ रहे हैं कि मैं क्यों रोया?”
तब वह महिला मुस्कुराई और जवाब दिया, “बेटा मुझे उम्मीद है कि अब तुमको तुम्हारा जवाब मिल गया होगा।
तुम उस तोते से प्यार नहीं करते बल्कि उसे पसंद करते हो, क्योंकि उसे अपने साथ देखकर तुमको खुशी मिलती है। तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम उसे सब कुछ दे रहे हो लेकिन तोते को इन सबकी ज़रूरत नहीं होती। वह तो बस आकाश में उड़ना चाहता है और अपनी आज़ादी के मज़े लेना चाहता है और तुम यह सोच रहे हो की तुम उससे प्यार करते हो। लेकिन वास्तव में हम उसकी आज़ादी को छीन रहे हैं और चाहते हैं कि वह हमारे साथ खुश रहे, बिना खुद के बारे में सोचे!
बेटा हम अक्सर यह गलती कर बैठते हैं, सोचते हैं कि हम एक इंसान को इतना कुछ दे रहे हैं, उससे इतना प्यार करते हैं फिर भी वो खुश क्यों नहीं है?
इस पिंजरे को खोलो और उस तोते को उड़ने का मौका दो और देखो कि क्या वह तोता तुम्हारे पास वापस आएगा?
हो सकता है कि वह दूर न जाए, लेकिन क्योंकि तुम उसे पकड़े हुए हो, वह दूर जाने की कोशिश करता है। अगर वह तुमसे सही मायने में प्यार करता है तो उसे किसी पिंजरे की ज़रूरत नहीं होगी और अगर नहीं, तो कोई भी पिंजरा उसे पकड़ नहीं पाएगा। मुझे आशा है कि तुम मेरी बात को समझ गए होगे।”
सच्चा प्यार तब होता है जब आप दूसरे की खुशी देख सकें और उन्हें वैसा करने दें जैसा वे चाहते हैं।
*“प्रेम वह है जो प्रियतम को स्वतंत्रता दे। पिंजरे से उड़ा पंछी भी वापस लौट आता है।”*
चारीजी







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