Jan Media TV

जनता की खबर , जनता तक

Advertisement

Mauni Amavasya 2022 मौनी अमावस्या 2022 तिथि, मुहूर्त, विधि और महत्व

Picsart 22 01 28 18 50 53 966 scaled

मौनी अमावस्या Mauni Amavasya 2022 मौनी अमावस्या 2022 तिथि, मुहूर्त, विधि और महत्व

Mauni Amavasya 2022: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या होती है. मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या (Maghi Amavasya) भी कहते हैं.

मौनी अमावस्या

Mauni Amavasya 2022: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या होती है. मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या (Maghi Amavasya) भी कहते हैं. सभी अमावस्याओं में मौनी अमावस्या का विशेष स्थान है. इस दिन गंगा स्नान (Ganga Snan) का भी महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान होता है. इसमें स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं, निरोगी काया प्राप्त होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज, हरिद्वार समेत देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर स्नान होता है और लोग स्नान करके पुण्य प्राप्त करते हैं. हालांकि इस बार भी कोरोना के कारण मौनी अमावस्या का स्नान सीमित दायरे और कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो सकता है. आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या कब है और इसका महत्व क्या है.

मौनी अमावस्या 2022 तिथि एवं मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 जनवरी दिन सोमवार को देर रात 02 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है, जो अगले दिन 01 फरवरी दिन मंगलवार को दिन में 11 बजकर 15 मिनट तक है. स्नान आदि कार्यक्रम सूर्योदय के समय से होता है, इसलिए मौनी अमावस्या 01 फरवरी को है. इस दिन ही नदियों में स्नान होगा.

मंगल का धनु राशि में हुआ है प्रवेश, जानें आप पर क्या होगा असर

मौनी अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद व्रत किया जाता है. इस दिन लोग मौन व्रत रखते हैं. मौन व्रत का तात्पर्य स्वयं के अंतर्मन में झांकना, ध्यान करना और प्रभु की भक्ति में लीन हो जाने से है. अपने अंदर आध्यात्मिकता का विकास करना भी इसका एक उद्देश्य होता है.

अन्य अमावस्या के तरह इस मौनी अमावस्या के दिन भी लोग स्नान के बाद पितरों को तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करते हैं. पितरों की आत्म तृप्ति के लिए ऐसा किया जाता है. जिनको पितृ दोष होता है, वे लोग अमावस्या के दिन ये सब उपाय करते हैं. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंश को आगे बढ़ने एवं सुखी जीवन का आशीष देते हैं

Mauni Amavasya 2022: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या होती है. मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या (Maghi Amavasya) भी कहते हैं.

मौनी अमावस्या

Mauni Amavasya 2022: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास (Magh Month) के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या होती है. मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या (Maghi Amavasya) भी कहते हैं. सभी अमावस्याओं में मौनी अमावस्या का विशेष स्थान है. इस दिन गंगा स्नान (Ganga Snan) का भी महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान होता है. इसमें स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं, निरोगी काया प्राप्त होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज, हरिद्वार समेत देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर स्नान होता है और लोग स्नान करके पुण्य प्राप्त करते हैं. हालांकि इस बार भी कोरोना के कारण मौनी अमावस्या का स्नान सीमित दायरे और कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो सकता है. आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या कब है और इसका महत्व क्या है.

मौनी अमावस्या 2022 तिथि एवं मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 जनवरी दिन सोमवार को देर रात 02 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है, जो अगले दिन 01 फरवरी दिन मंगलवार को दिन में 11 बजकर 15 मिनट तक है. स्नान आदि कार्यक्रम सूर्योदय के समय से होता है, इसलिए मौनी अमावस्या 01 फरवरी को है. इस दिन ही नदियों में स्नान होगा.

मंगल का धनु राशि में हुआ है प्रवेश, जानें आप पर क्या होगा असर

मौनी अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद व्रत किया जाता है. इस दिन लोग मौन व्रत रखते हैं. मौन व्रत का तात्पर्य स्वयं के अंतर्मन में झांकना, ध्यान करना और प्रभु की भक्ति में लीन हो जाने से है. अपने अंदर आध्यात्मिकता का विकास करना भी इसका एक उद्देश्य होता है.

अन्य अमावस्या के तरह इस मौनी अमावस्या के दिन भी लोग स्नान के बाद पितरों को तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करते हैं. पितरों की आत्म तृप्ति के लिए ऐसा किया जाता है. जिनको पितृ दोष होता है, वे लोग अमावस्या के दिन ये सब उपाय करते हैं. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंश को आगे बढ़ने एवं सुखी जीवन का आशीष देते हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *