Pitra Paksh Tarpan Shradh Vidhi पितृपक्ष में तर्पण एवं श्राद्ध विधि
पितृपक्ष में तर्पण एवं श्राद्ध विधि
पितृपक्ष में पितृतर्पण एवं श्राद्ध आदि करने का विधान यह है कि सर्वप्रथम हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् एवं जल लेकर संकल्प करें-
“ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।”
इसके बाद पितरों का आवाहन इस मन्त्र से करना चाहिए।
“ब्रह्मादय:सुरा:सर्वे ऋषय:सनकादय:। आगच्छ्न्तु महाभाग ब्रह्मांड उदर वर्तिन:।।”
तत्पश्चात् इस मन्त्र से पितरों को तीन अंजलि जल अवश्य दे।
“ॐआगच्छ्न्तु मे पितर इमम गृहणम जलांजलिम।।” अथवा
“मम (अमुक) गोत्र अस्मत पिता-उनका नाम- वसुस्वरूप तृप्यताम इदम तिलोदकम तस्मै स्वधा नम:।।”
पितर प्रार्थना मंत्र– पितर तर्पण के बाद गाय और बैल को हरा साग खिलाना चाहिए। तत्पश्चात पितरों की इस मन्त्र से प्रार्थना करनी चाहिए।
“ॐ नमो व:पितरो रसाय नमो व:पितर: शोषाय नमो व:पितरो जीवाय नमो व:पितर:स्वधायै नमो व:पितरो घोराय नमो व:पितरो मन्यवे नमो व:पितर:पितरो नमो वो गृहाण मम पूजा पितरो दत्त सतो व:सर्व पितरो नमो नम:।”
श्राद्ध कर्म मंत्र – पितृ तर्पण के बाद सूर्यदेव को साष्टांग प्रणाम करके उन्हें अर्घ्य देना चाहिए। तत्पश्चात् भगवान वासुदेव स्वरूप पितरों को स्वयं के द्वारा किया गया श्राद्ध कर्म इस मन्त्र से अर्पित करें।
“अनेन यथाशक्ति कृतेन देवऋषिमनुष्यपितृतरपण आख्य कर्म भगवान पितृस्वरूपी जनार्दन वासुदेव प्रियताम नमम। ॐ ततसद ब्रह्मा सह सर्व पितृदेव इदम श्राद्धकर्म अर्पणमस्तु।।”
ॐविष्णवे नम:, ॐविष्णवे नम:, ॐविष्णवे नम:।।
इसे तीन बार कहकर तर्पण कर्म की पूर्ति करना चाहिए।


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