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खेल दिवस – मिर्जापुर में खिलाड़ियों की कमी नहीं, सुविधाओं और संसाधनों का टोटा, 2012 से बन रहा स्टेडियम अब तक अधूरा

खेल दिवस : प्रतिभा के धनी खिलाड़ी सुविधा के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रहे है। जिले में फुटबॉल, एथलेटिक्स, पावरलिफ्टिंग, क्रिकेट के उच्च स्तरीय खिलाड़ी हैं। इन खिलाड़ियों ने बड़ी प्रतियोगिताओं में प्रदर्शन कर अपना जलवा भी बिखेरा है मिर्जापुर में खेलों को बेहतर करने का दावा शासन-प्रशासन और खेल विभाग की ओर से भले ही किया जाता है मगर हालात इससे अलग हैं। जिले में अच्छे खिलाड़ियों के होने के बाद भी सुविधाओं और संसाधनों का टोटा है। ऐसे में जो प्रतिभाएं हैं, वे बीच में ही दम तोड़ देती हैं या फिर जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं वे खिलाड़ी बाहर चले जाते हैं। खेल दिवस इस कारण प्रतिभा के धनी खिलाड़ी सुविधा के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रहे है। जिले में फुटबॉल, एथलेटिक्स, पावरलिफ्टिंग, क्रिकेट के उच्च स्तरीय खिलाड़ी हैं। इन खिलाड़ियों ने बड़ी प्रतियोगिताओं में प्रदर्शन कर अपना जलवा भी बिखेरा है। जिनसे प्रेरणा लेकर अन्य खिलाड़ी भी खेलों में रुचि ले रहे हैं। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या संसाधनों और सुविधाओं के अभाव की है।जिले में खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार करने के उद्देश्य से बरकछा की पहाड़ी में स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ, जो अब तक पूरा न हो सका। खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार करने के बजाए स्टेडियम का परिसर मवेशियों का चारागाह और उसके भवन कबूतरखाना बन गए है। न तो स्टेडियम में बिजली की व्यवस्था है न ही शौचालय की।बरसात होने पर जो भवन बने है, वो भी टपकने लगते हैं। बड़ी बात कि नौ वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी अब तक स्टेडियम का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। 2012 में मायावती सरकार में खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने के लिए बरकछा की पहाड़ी पर भिस्कुरी में स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ।खेल दिवस शासन से स्टेडियम निर्माण के लिए लगभग चार करोड़ रुपये धनराशि स्वीकृत हुई थी। स्टेडियम को बनाने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था पैक्सफेड को मिली। वर्ष 2013 में स्टेडियम का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य बनाया गया। लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। हालत ये है कि रख-रखाव के अभाव में करोड़ों की कीमत से बने स्टेडियम के भवन जर्जर हो गए हैं। बैंडमिंटन और अन्य इनडोर खेल के लिए जो भवन बने है वे कबूतरों के आशियाना हो गए है।

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