त्रिपुरा के डी एम की आधी रात की गई गुंडागर्दी से देश सन्न..
त्रिपुरा के DM शैलेश यादव द्वारा आधीरात को छापा मारकर बारात को नादिरशाही तरीके से तहस-नहस कर बारातियों, पण्डित को पीटना, दूल्हन के परिवारवालों को गिरफ्तार करना किस तरह जायज है?
आपको मजिस्ट्रेट पॉवर लॉ&आर्डर की है रात के वीराने में कहाँ लॉ&आर्डर खराब हो रहा था?
डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट का उलंघन था तो आप सबका चालान करते।
लेकिन धक्का-मुक्की, हाथापाई क्या आपको लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी में सिखाई गयी या आपके परिवार के संस्कार हैं?
यह सच है कि किसी विधायक के बेटी की बारात पर हाथ कोई DM बिना सरकार के संरक्षण के नहीं कर सकता लेकिन नेताओं की अंधभक्ति में लोकसेवक की गरिमा खो दोगे इसका अंदाजा हमें नहीं था?
यह घटना केवल शैलेश यादव के चयन और प्रशिक्षण पर ही सवाल खड़ा नहीं करती बल्कि हमारी लोकसेवाओं में आरक्षण से चयनित अभ्यर्थियों पर भी प्रश्न चिह्न खड़ा करती है कि कहीं आरक्षण से हम हर स्तर पर देश को बर्बाद करने पर तो नहीं तुले हैं।
इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है.कि लोकसेवाओं में इतने अयोग्य और मूर्खों का चयन हो कैसे जाता है?
इनके प्रशिक्षण का स्तर इतना घटिया क्यों है? शैलेश यादव ने विवाह सम्पन्न कराने वाले पण्डित के मुंह पर ही तमाचा नहीं मारा बल्कि, लोकसेवा आयोग, राष्ट्रपति, संसद, संविधान और भारतीय लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा मारा है! उम्मीद है इन्हें होश आयेगा।


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