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SFDR Missile Propulsion System: DRDO से एक और भारत ने किया रैमजेट बूस्टर का सफल परीक्षण, चुुनिंदा देशों के पास है यह तकनीक

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भारत के DRDO ने आज ट्वीट करके बताया कि भारत ने आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत अपना स्वदेशी ए आई पी यानि कि Air Independent Propulsion (AIP) बना लिया है। इसको बेचने के लिए खास तौर पर फ्रांस अपनी नजरें भारत पर गड़ाए बैठा था।

अब भारत की पुरानी पनडुब्बियों जो न्यूक्लियर पावर से नहीं चलतीं को बार बार सतह पर नहीं आना पड़ेगा। ये पनडुब्बियां न्यूक्लियर पनडुब्बियों के मुकाबले में कम आवाज करने वाली होंगी।

पाकिस्तान भी फ्रांस से इस IAP सिस्टम को खरीदना चाहता है पर पैसों के टोटे के कारण अपना मन मार कर बैठा है। ऊपर से डिफेंस जनरल में उसके J17 फाइटर जेट भी जो चीन से खरीदे थे उसकी रिपोर्ट भी आ गयी कि वो बिल्कुल फिसड्डी हैं और निशाने को सही से लॉक नहीं कर पाते।

अब हमारी आउटडेटेड पनडुब्बियां न्यूक्लियर पनडुब्बियों से भी ज्यादा घातक हो जाएंगी। कलवारी क्लास की सारी पनडुब्बियों में अब यह सिस्टम लगाया जाएगा। अभी तक यह सिस्टम सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के पास ही था।

बयान में उल्लेख किया गया कि डीआरडीओ द्वारा विकसित 5.56×30 एमएम की संयुक्त रक्षात्मक उपक्रम कार्बाइन (जेवीपीसी) गैस संचालित अर्ध स्वचालित अस्त्र है और इससे एक मिनट में 700 से अधिक गोलियां दागी जा सकती हैं. इसमें कहा गया कि अंतिम चरण का प्रायोगिक परीक्षण सोमवार को किया गया जिसमें सभी जरूरी मानक प्राप्त कर लिए गए. इस कार्बाइन की प्रभावी रेंज 100 मीटर से अधिक की है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी आरडी ओ) द्वारा बनाई गई 5.56×30 एमएम की सब-मशीनगन रक्षा मंत्रालय के प्रायोगिक परीक्षणों में सफलतापूर्वक खरी उतरी है. इस बात की घोषणा बृहस्पतिवार को की गई. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि परीक्षणों के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद इस सब-मशीनगन को सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

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