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नवरात्रि navratri 2021 : आठ दिन का होगा शारदीय नवरात्र । हार्दिक शुभकामनाएं

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है, जिसमें पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के दिव्य रूपों की उपासना की जाती है। हालांकि इस साल नवरात्र महज 8 दिन तक ही रहेंगे, जो 7 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्त हो जाएंगे। शरद ऋतु में पड़ने वाली नवरात्रि को मुख्य नवरात्र माना जाता है। इस दौरान देशभर में धूम रहती है, खासतौर पर बंगाल और गुजरात जैसे राज्यों में इस त्योहार की सबसे अधिक रौनक देखने को मिलती है। जहां बंगला में दुर्गा पूजा के लिए खूबसूरत और आकर्षक पंडाल लगाए जाते हैं। वहीं गुजरात में जगह-जगह पर गरबा का आयोजन किया जाता है।

मां का आगमन और गमन

शारदीय नवरात्रि यानि देवी मां की उपासना का महापर्व. हिंदू धर्म में इस पर्व को विशेष महत्व दिया गया है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 7 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. इस साल दो तिथियां एक साथ पड़ने की वजह से नवरात्रि आठ दिन के हैं. दुर्गा मां का ये पवित्र पर्व 14 अक्टूबर को महानवमी को समाप्त होगा. इस बार मां दुर्गा पालकी पर सवार होकर आएंगी, माता का डोली पर आना ज्यादा शुभ संकेत नहीं माना जाता। लेकिन माता का प्रस्थान हाथी पर होगा जिसे शुभ माना गया है। 15 अक्टूबर को नवरात्रि का पारण किया जाएगा और दशहरा पर्व भी मनाया जाएगा।

पहला दिन (7 अक्टूबर)- मां शैलपुत्री की आराधना

दूसरा दिन (8 अक्टूबर)- मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

तीसरा दिन (9 अक्टूबर)- मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा

चौथा दिन (10 अक्टूबर)- मां स्कंदमाता की आराधना

पांचवा दिन (11 अक्टूबर) मां कात्यायनी की आराधना

छठा दिन (12 अक्टूबर) मां कालरात्रि की आराधना

सातवां दिन (13 अक्टूबर)- मां महागौरी की पूजा

आठवां दिन (14 अक्टूबर)- मां सिद्धिरात्रि की पूजा

नौवां दिन (19 अक्टूबर)- दशहरा

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त-

शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ समय सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक ही है। कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 07 अक्टूबर, गुरुवार को ही की जाएगी।

शारदीय नवरात्रि पूजन सामग्री-

मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्‍तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर. और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्‍ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब,कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि।

नवरात्रि का पहला दिन आज, नोट कर लें मां शैलपुत्री की पूजन- विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती

नवरात्रि का पहला दिन आज, नोट कर लें मां शैलपुत्री की पूजन- विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती

आज से यानी 7 अक्टूबर, 2021 से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाय जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा- अर्चना की जाती है। मां शैलपुत्री सौभाग्य की देवी हैं। उनकी पूजा से सभी सुख प्राप्त होते हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण माता का नाम शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ, इसलिए इनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। मां को वृषारूढ़ा, उमा नाम से भी जाना जाता है। उपनिषदों में मां को हेमवती भी कहा गया है।

पूजा-विधि

  • इस दिन सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
  •  नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना भी की जाती है।
  • पूजा घर में कलश स्थापना के स्थान पर दीपक जलाएं।
  • अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें।
  • मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
  • धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
  • मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। इस दिन मां को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पित करें। 
  • मां को सफेद बर्फी का भोग लगाएं।
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