चमोली जिले मे भादो के महीने की नन्दाअष्टमी के लिए सिद्ध पीठ कुरूड से दो देव डोलियां पारम्परिक रीति रिवाजो के साथ अपने मायके से कैलाश को रवाना हो गयी । ग्रामीणों मे अपनी देवी के दर्शनो के लिए उत्सुकता देखते ही बनती है। अपनी ईष्ट देवी मां नन्दा के स्वागत के लिए ककडी मकक्ई चूडी विन्दी व साडे भेट किये व अपने क्षेत्र की सुखसमृद्धी के लिए देवी मां से मनोतियां मांगी। इसे राजजात की छोटी जात भी कहते हैं इस लोकजात का महत्व भी उतना ही है जितना बडी जात का है लेकिन देवी मां की यह जात अलग अलग दिशाओ से होती हुई कैलाश की ओर रवाना होती है ।दशोली क्षेत्र की जात की अन्तिम पूजा जहां बालपाटा नामक स्थान मे होती है ।वही बधांण क्षेत्र की जात की पूजा रूपकुण्ड मे सम्पन्न होती है।


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