महान क्रान्ति कारी व स्वतंत्रता सेनानी थे. शहीद ऊधम सिह को आज उनके बदलीदान दिवस पर याद किया जा रहा है। उनकी क्रांती कारी विचारो ने देश प्रेम की भावना उनके अन्दर कुट कुट भरी थी और तत़्वकालीन पंजाब के उधम सिंह एक महान क्रांतिकारी और जिनके दिल में सिर्फ और भावना और अंग्रेजों सरकार व उनके भारतीय लोगो पर आये दिन अत्याचार प्रति अगम्य क्रोध भरा हुआ था. इसी प्रतिशोध की भावना के फलस्वरुप पंजाब उधमसिंह १३ अप्रैल १९१९ को घटित जालियाँवाला बाग नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी थे। राजनीतिक कारणों से जलियाँवाला बाग में मारे गए लोगों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई। इस घटना से वीर उधमसिंह तिलमिला गए और उन्होंने जलियाँवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर माइकल ओ डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ले ली। अपने मिशन को अंजाम देने के लिए उधम सिंह ने विभिन्न नामों से अफ्रीका, नैरोबी, ब्राजील और अमेरिका की यात्रा की। सन् 1934 में उधम सिंह लंदन पहुँचेके और ड्वायर को लंदन मे जाकर उनकी हत्या कर दी थी. उधम सिंह 13 अप्रैल 1919 के दिन ,दिल दहला देने वाली घटना में करीब 1000 से अधिक निर्दोष लोगों की शव यात्रा देख ली थी. तभी से उनको गहरा आघात हुआ और उनके अंदर आक्रोश की भावना जागृत हो गई. फिर क्या था ? उन्होंने अपने निर्देश देशवासियों की मौत का बदला लेने के लिए संकल्प कर लिया. उन्होंने अपने संकल् ऊधम सिंह के नाम से भारत सहित


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