उतराखड राज्य में भू कानून की माग लम्बे समय सेचली आ रही है। लेकिन अब यह आन्दोलन को लेकर अब युवा वर्ग चाहे सोसल मिडीया के माध्य से हो या सडक पर अब भू कानून की माग करते दिख रहे है। लेकिन यह आन्दोलन अब समत उतराखंड़ मै दिखायी देने लगा है लेकिन सवाल यह कि आज उतराखंड़ मे सक्त भू कानून कि माग क्यो होने लगी ।क्या जब उतराखंड़ मे चुनाव नजदीक है तब भू कानून की मांग क्यो ।इसके लिए हमे उतराखंड़ के वास्तू स्तिथी क्या है यह बारीकी से समझना होगा कुछ लोग पहाडी वनाम् बहारी जताकर आन्दोलन को कमजोर करने का प्रयास कर रहे है। लेकिन सत्य कोसो दूर है।देव भूमी उतराखंड़ मे कमजोर व गरीब लोगो को पैसे का लालज देकर खरीद लेते है फिर उन्ही लोगो पर अत्याचार करते है ।और प्रदेश की कृषि वाली भूमी पर कुछ समय वाद बडे बडे होटल व रिसोर्ट वने दिखते है और यह लोग फिर उतराखंड के स्थाई निवासी वन जाते और प्रशासन के अधिकारी इन बडे बडे भू माफियाओं के नतमस्तक हो जाते हैजब उतराखंड मे खंडूरी सरकार मे मे वाहरी व्यक्ति को सिफ॔ 150 वग्र फीट जमीन खरीदने की ही अनुमति मिलती थी आज सास्कृतिक नगरी अल्मोड़ा मे आज राज्य आन्दोलनकारियों ने गांधी मूर्ति के चौघानपाटा मे अनिश्चितकालीन धरना दिया इस मैके पर उतराखंड क्रान्ति दल के नेता व आन्दोलन कारीयो ने कहा कि डबल ईंजंन की सरकार मै भू माफियाओ की बहार हो रही है। और उनहोंने हा कि अगर उतराखंड सरकार मानसून सत्र मै भू कानून नही लायी तो हमे सडक पर उतरने पर मजबूर होना पडेगा उत्तराखंड क्रांति दल के केद्रीय अक्ष्यस काशी सिह ऐरी ने् उत्तराखंड भू कानून को आर्टिकल 371 में शामिल करने और वर्ष 1980 से पूर्व निवास करने वालों को ही उत्तराखंड का मूल निवासी मानने की मांग उठाई है।
कैसे बचेगी जमीन आशंका : भू-कानून का विरोध करने वालों का तर्क है कि प्रदेश में ‘उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि व्यवस्था सुधार अधिनियम 1950 (अनुकलन एवं उपरांतरण आदेश 2001) (संशोधन) अध्यादेश-2018’ के जरिये जमीन की खरीद फरोख्त के नियमों को इतना लचीला कर दिया गया कि अब कोई भी पूंजीपति प्रदेश में कितनी भी जमीन खरीद सकता है। इसमें में जोड़ी गई दो धाराओं को लेकर विरोध हो रहा है। लेकिन उतराखंड मै त्रिवेन्द्र सरकार ने यह फैसला बदल दिया और बाहरि लोगो को जमिन खरीदने कि खुलि छुट दे दि लेकिन इसके दुष्परिणाम हि देखने को मिले ।
स्वत: बदल जाता है भू उपयोग
इस कानून की धारा 143 (क) में यह प्रावधान है पहाड़ में उद्योग लगाने के लिए भूमिधर स्वयं भूमि बेचे या उससे कोई भूमि खरीदे तो भूमि को अकृषि कराने के लिए अलग से कोई प्रक्रिया नहीं अपनानी होगी। औद्योगिक प्रायोजन से भूमि खरीदने पर भूमि का स्वत: भू उपयोग बदल जाएगा।


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