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साम्यवाद का मूल विश्व एकता। कार्ल मार्क्स

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साम्यवाद का मूल विश्व एकता।
कार्ल मार्क्स


समतामूलक व वर्ग विहीन समाज के सिद्धांत पर निर्भर करता है।
   पुराने धार्मिक, राजनैतिक, तथा एतिहासिक बर्चस्व
के प्रतिमानों को ध्वस्त कर एक नए वर्गहीन व समतामूलक समाज की स्थापना की जाएगी, न्याय से कोई बंचित नही रहेगा।
  ** साम्यवाद **को सामाजिक राजनितिक दर्शन में एक विचारधारा के रूप में वर्णित किया गया है जिसमे संरचनात्मक स्तर पर एक समतावादी वर्गहींन समाज की स्थापना की जाएगी।
  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) भारत के मजदूर वर्ग का क्रांतिकारी मोहरा है। इसका उद्देश्य सर्वहारा वर्ग की तानाशाही की स्थिति की स्थापना के माध्यम से समाजवाद और साम्यवाद है। अपनी सभी गतिविधियों में पार्टी को मार्क्सवाद-लेनिनवाद के दर्शन और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाता है, जो मेहनतकश जनता को मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण, उनकी पूर्ण मुक्ति का सही तरीका दिखाता है। पार्टी सर्वहारा अंतर्राष्ट्रीयतावाद के बैनर को ऊँचा रखती है।

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