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भाजपा और तीरथ : शपथ से त्यागपत्र तक क्या खोया क्या पाया ?

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शरत शर्मा (हरिद्धार)

प्रदेश भाजपा के द्वारा 2022 चुनावो के मध्येनजर,आयोजित रामनगर  के तीन दिवसीय गंभीर चिंतन शिविर के बाद से सूबे के मुख्यमंत्री को अचानक दिल्ली तलब किये जाने पर प्रदेश में अटकलों का माहौल तेज हो गया था। कांग्रेस के पूर्व परिवहन राज्यमंत्री नवप्रभात जी पहले ही प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके उपचुनाव सम्बन्धी सवैंधानिक अड़चनों पर रौशनी डाल चुके थे। कल तीरथ सिंह रावत जी ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर उनकी बातो पर मोहर लगाने का काम किया है। उनके इस्तीफे ने प्रदेश भाजपा की कार्यशैली  और उनकी सवैंधानिक मामलो में अज्ञानता संबंधी व्यवहार को भी उजागर किया है। त्रिवेन्दर सिंह रावत सरकार अपने 4 साल बेमिसाल की घोषणा कर चुकी थी।  भाजपा आलाकमान ने उन्हें तुरंत प्रभाव से पदविहिन् करके उनके 4 साल बेमिसाल पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया।  10 मार्च को लोकसभा सांसद तीरथ सिंह जी को सूबे के नौवें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा कर भाजपा आलाकमान ने प्रदेश के 57  विधायकों में अपना अविश्वास दर्ज कराते हुए उन्हें जनता की नजर में एक प्रकार से अयोग्य ही घोषित कर दिया।  जिस ने हाशिये पर अटके हुए विपक्ष में जान फूंकने का काम किया। 11 मार्च को मुख्यमंत्री जी ने महाकुम्भ मेले के भव्य और दैवीय आयोजन पर मोहर लगाते हुए साधुओँ के शोभयात्रा पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की घोषणा की। 13 मार्च को उन्होंने घोषणा की की कुम्भ यात्रिओ के लिए RT-PCR रिपोर्ट की आवश्यकता को ख़ारिज कर दिया जो की केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई SOP के एकदम उलट थी। मध्य मार्च से मध्य  अप्रैल तक पूर्व मुख्यमंत्री के कई शासनादेशो को पलट दिया जिनमे से देवस्थान बोर्ड के नियंत्रण से 51 मंदिरो को बहार किये जाने का विषय भी था। 16 मार्च को उन्होंने एक NGO में कार्यरत महिला के फंटी जींस वाले पहनावे पर विवादित टिपण्णी कर डाली।  21 मार्च उनकी फिसली जबान ने उनका साथ नहीं दिया और उन्होंने कहा की अमरीका ने भारत को 200 वर्षो तक गुलाम बनाए रखा। मई जून में कोविड 19 के RT-PCR जाँच घोटाले के छाया के निचे उन्होंने  प्रदेश के सभी जिलों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने और वात्स्लय योजना लागू करने की बात कही। 27 जून को आयोजित तीन दिवसीय भाजपा के चिंतन शिविर के तुरंत  बाद  तिरथ सिंह रावत जी को भाजपा आलाकमान ने 30 जून को दिल्ली तलब कर लिया।  इस प्रकार तीरथ सिंह रावत जी के खाते में विवादों, भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ साथ किसी भी हिमालयन प्रदेश में सबसे कम कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री होने का रिकार्ड भी दर्ज हो गया। 

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