पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल का सोमवार को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कोविड के साथ लंबी लड़ाई के बाद निधन हो गया। केके अग्रवाल की उम्र 62 साल थी और वह करीब एक हफ्ते से वेंटीलेटर पर थे।
केके अग्रवाल के परिवार ने आज सुबह उनके ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके उनकी मौत की जानकारी दी है। कोरोना से संक्रमित होने के बाद केके अग्रवाल को राजधानी दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिनों से उनका इलाज चल रहा था, लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका। दो महीने पहले ही उन्होंने वैक्सीन की दोनों खुराक भी ली थीं, लेकिन बीते माह वह संक्रमण की चपेट में आ गए।
उन्होंने जीवन के अंतिम दिनों में भी चिकित्सक होने का कर्तव्य नहीं छोड़ा। उनकी जीवटता और मरीजों के प्रति उनके फर्ज को आप इस तरह समझ सकते हैं कि कोरोना पॉजिटिव हो जाने के बाद भी उनके चेहरे पर एक शिकन नजर नहीं आ रही थी। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले भी वो ऑनलाइन मरीजों की परेशानियां सुलझाते रहे। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनके मुंह पर ऑक्सीजन पाइप लगी हुई थी बावजूद वे मरीजों को सलाह देते रहे। अग्रवाल को साल 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि हाल-फिलहाल में वैक्सीन लगवा चुके लोगों की जो मौतें हुई हैं, उनकी पिछले साल से तुलना करें तो एक बात तो साफ है कि इस बार मृतकों की संख्या कम है। हमने फेज 3 ट्रायल्स में डेथ रेट 0% माना था मगर जमीन पर हालात अलग नजर आ रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। यह रिसर्च का विषय है कि क्या इन लोगों में दोनों डोज लगने के बाद भी ऐंटीबॉडीज नहीं बनीं। अगर ऐंटीबॉडीज बनीं तो पर्याप्त मात्रा में नहीं बनीं या जिस तरह की न्यूट्रलाइजिंग ऐंटीबॉडीज चाहिए थीं, वो नहीं बनीं। तीसरी संभावना ये है कि जो ऐंटीबॉडीज थीं, वे वायरस के इस स्ट्रेन के खिलाफ कारगर नहीं हैं।



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