निरंजनी अखाड़ा परिषद, एवं बाघमबारी गद्दी पीठे स्वर , महंत नरेंद्र गिरि ने, अपने शिष्य, आनंदपुरी, उपनाम नरेंद्र गिरी, को भोग विलास, आश्रम पद्धति के विपरीत कार्य करने, के आरोप में, समस्त कार्य क्षेत्रों से, निष्कासित किया है, लेटे हुए हनुमान जी, पर जो चढ़ावे दान, श्रद्धालुओं द्वारा, अर्पित होते हैं, उनके भी दुरुपयोग से, श्रद्धालुओं में विश्वास के नाम पर प्रश्न चिन्ह है, जिससे संत समाज में असंतोष व्याप्त है, ज्ञातव्य है पूर्व में भी, स्वामी आनंद गिरी के ऊपर, अनेक आरोप भी लगे हैं
निरंजनी अखाड़ा परिषद, एवं बाघमबारी गद्दी पीठे स्वर



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