रविन्द्र कौशिक का जन्म राजस्थान राज्य के श्रीगंगानगर नामक जिले में ११ अप्रैल १९५२ को हुआ था । वे एक प्रसिद्ध थिएटर कलाकार थे और अपनी योग्यता को राष्ट्रीय स्तर पर जब नाटक सभा लखनऊ में प्रदर्शित कर रहे थे तो, भारतीय खुफिया एजेंसी RAW के कुछ अधिकारियों ने भी देखा।
रॉ के अधिकारीयों ने उन्हें सम्पर्क किया, और उनको भारत के लिए पाकिस्तान में खुफिया एजेंट की नौकरी का प्रस्ताव रखा। 23 वर्ष की आयु में, उन्हें भारत से ख़ुफ़िया मिशन पर पाकिस्तान भेज दिया गया।
रविन्द्र कौशिक को रॉ द्वारा भर्ती किया गया था और दो साल के लिए दिल्ली में गहन प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें इसलाम की धार्मिक शिक्षा दी गयी और पाकिस्तान के बारे में, स्थलाकृति और अन्य विवरण के साथ परिचित कराया गया। उर्दू पढ़ायी गयी।
गंगानगर के निवासी होने के नाते, पाकिस्तान के बड़े हिस्से में बोली जाने वाली पंजाबी भाषा में वे अच्छी तरह से निपुण थे।
उनको 1975 में २३ साल की उम्र में पाकिस्तान में भेजा गया! उनका नाम नबी अहमद शाकिर दिया गया।
रविन्द्र कौशिक कराची विश्वविद्यालय में दाखिला प्राप्त करने में सफल रहे और वहां एलएलबी पूरा किया। आगे जाकर वे पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और एक कमीशन अधिकारी बन गए और बाद में एक मेजर के पद पर पदोन्नत किये गए।
उसके बाद उन्होंने एक स्थानीय लड़की अमानत से शादी कर ली, और एक बेटे के पिता बन गए।
1979 से 1983 तक उनहोंने जो रॉ के लिए बहुमूल्य जानकारी प्राप्त की वे भारतीय रक्षा बलों के लिए बहुत मददगार हुई ।
उन्हें भारत के तत्कालीन गृह मंत्री एसबी चव्हाण द्वारा ‘ब्लैक टाइगर’ का खिताब दिया गया था।
उन्होंने बहुत प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने देश और परिवार से दूर पाकिस्तान में अपने जीवन के 26 साल बिताए।
सितम्बर 1983 में, भारतीय खुफिया एजेंसियों को ब्लैक टाइगर के साथ संपर्क में लाने के लिए और रवींद्र कौशिक क़ो मदद मिले इसके लिए भारत सरकार ने एक एजेंट इनायत मसीह को भेजा।
रवींद्र कौशिक ने इसके लिए भारत सरकार को मना भी किया कि उन्हें किसी मदद की जरुरत नहीं है, लेकिन भारत सरकार ने मसीह को भेज कर रवींद्र कौशिक जी के लिए मौत का बुलावा भेज दिया !
उस एजेंट मसीह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने बॉर्डर पर ही पकड़ लिया और उससे सब उगलवा लिया !उसने रविंदर कौशिक को मिलने बुलाया और उसे पकड़वा दिया !
रवींद्र कौशिक जी को जेल में १८ दिन तक बिना खाने और पानी के रखा और १८ दिन कोर्ट में पेश किया तो उन्हें 1985 फांसी की सजा सुनाई गई ! जिसे बाद में बदल कर उम्रकैद कर दिया गया !
जेल में ही उनकी पत्नी एक बार उनसे मिलने आयी और पूछा कि आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ?
तब रविंद्र कौशिक जी ने कहा – अपने देश के लिए !
उन्हें 16 साल तक सियालकोट, कोट लखपत और मियांवाली जेल सहित विभिन्न जेलों में रखा गया था। वहीं कौशिक को दमा और टीबी हो गया। चुपके से वे भारत में अपने परिवार के लिए पत्र भेजने में कामयाब रहे। उसमें उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य की स्थिति और पाकिस्तान की जेलों में अपने ऊपर होने वाले यातनाओं के बारे में भी लिखा। लेकिन भारत सरकार या RAW ने उनकी कोई खोज खबर नहीं ली और अपना पलड़ा झाड़ लिया !
उन्होंने अपने एक पत्र में पुछा था ,
“क्या भारत जैसे बड़े देश केलिए कुर्बानी देने का यही ईनाम मिलता है ?”
उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि वे अपने देश की जमीं पर मरना चाहते थे !
नवंबर 2001 को, वह सेंट्रल जेल मुल्तान में फेफड़े , तपेदिक और दिल की बीमारी से दम तोड़ दिया। मरने के बाद भी उनके शव तक को भारत सरकार ने नहीं लिया ! इतनी यातनाओ के बाद जब जेल में उनकी मृत्यु हुई तो उन्हें जेल के पीछे कूड़े में दफनाया गया था।
तो ये थी उस समय की सरकार जो देश भक्तों के साथ ये सब कर गई !



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