दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में अब किसानों की भीड़ कम होती नजर आ रही है। एक ओर जहां पहले धरना स्थलों पर हजारों किसानों की भीड़ होती थी, लेकिन अब केवल चुनिंदा जत्थों में ही भीड़ दिखाई दे रही है। प्रदर्शन स्थलों के मंचों से भी बड़े नेता पूरी तरह से नदारद हैं। किसानों के कम होते उत्साह को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद मार्च का एलान किया है, ताकि किसानों की भीड़ को जुटाया सके और आंदोलन को दोबारा खड़ा किया जा सके।
जुर्माने के डर से किसान आते हैं यहां
बता दें कि पंजाब के गांवों के प्रधानों ने एक फरमान जारी कर रखा है। इस फरमान के अनुसार, हर परिवार का एक सदस्य महीने में कम से कम एक बार सिंघु बॉर्डर पर जरूर आएगा और दस दिन यहीं पर रहेगा।
ऐसा न करने पर परिवार पर जुर्माना लगाया जाएगा। इस बाबत कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। ऐसे में जो लोग यहां नहीं आना चाहते, उन्हें भी मजबूरन आना पड़ता है, क्योंकि यहां नहीं आए तो जुर्माने के रूप में जेब ढीली करनी पड़ेगी
ऐसा कहा जा रहा है कि विदेशी फंडिंग से यहां पर प्रदर्शनकारियों को सुविधा दी जा रही हैं। इसलिए न तो उनके आने-जाने का कोई खर्च आता है और न ही खाने-पीने का। 10 से 15 दिन एक क्षेत्र के लोग सिंघु बॉर्डर पर रहते हैं और अगले 15 दिन अलग क्षेत्र के लोग।
युवाओं ने काटी कन्नी
दिल्ली की सीमा में सभी प्रदर्शनकारी पंजाब के हैं। यहां पर न तो कोई प्रदर्शनकारी हरियाणा का है और न राजस्थान या यूपी का। इनमें भी बुजुर्ग ही हैं, युवाओं ने तो इनसे कन्नी काट रखी है।
26 जनवरी को लाल किले पर किए गए उपद्रव के बाद नेताओं ने उन्हें गद्दार कहा था। तब से लेकर अब तक यहां युवा नहीं आ रहे हैं।



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