प्रयागराज चौक की कपड़ा फाड़ होली कमाल की है
प्रयागराज की होली निराली लेकिन लोक नाथ की होली तो अनूठी है। रंगों की बारिश में भीजते, नाचते, गाते जब मस्ती चरम पर पहुचती तो शुरू होती है तो फिर कपड़ा फाड़ होली शुरू होती हैः शुरुआत कमर के ऊपर के कपड़ों से होती है लेकिन कई बार तो पैंट भी चिथड़ी हो जाती है कपड़े फाड़ने के बाद साथियों ने एक एक करके तार पर। इतना होने के बाद तन से फाड़े गए कपड़े टुकड़ों में तार पर पहुच जाते हैं फिर चाहे बिजली का हो टेलीफोन का हो या केविल किसी के भी तार हो ।क्या युवा क्या बुजुर्ग सभी पर होली का एक जैसा ही सुरुर चढता है।
लोकनाथ मिलन संस्थापक एवं संरक्षक रवींद्र पांडेय बताते है, लोकनाथ की होली तो बरसो पुरानी है इस होली में टेसू के फूल अबीर गुलाल कागज के फूल के साथ फौवारो से पानी और रंग बरसता है और तो और बच्चन शाहिद शहर के तमाम नामचीन साहित्यकारों के अतिरिक्त पंडित नेहरु भी शोले में शरीक हुए थे कपड़ा फाड़ की यह परंपरा 10 को पुरानी है महामना मालवीय छुंनन गुरु से लेकर सत्य प्रकाश मालवीय और जनेश्वर मिश्र तक होली में शरीक होते थे।
प्रयागराज चौक की कपड़ा फाड़ होली कमाल की है



Leave a Reply