कांग्रेस की जंबो कार्यकारिणी में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को कनिष्ठ पदों पर नियुक्ति दी गई है। इस तरह वरिष्ठों का डिमोशन कर दिया गया। मुंबई कांग्रेस में जो 20 साल पहले सचिव थे, उन्हें फिर वही पद देकर नाराज कर दिया गया है। नई कार्यकारिणी में नए चेहरों को महासचिव की जिम्मेदारी देकर वरिष्ठों को उनके मातहत काम करने के लिए बाध्य कर दिया गया है। इससे मुंबई के वरिष्ठ कांग्रेस नेता खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं।
यह है पूरा मामला
बता दें कि कांग्रेस के अध्यक्ष भाई जगताप की नई कमेटी में 169 लोगों को शामिल किया गया है। इस नई कार्यकारिणी में मिलिंद देवड़ा, प्रिया दत्त, संजय निरूपम, वर्षा गायकवाड़, नसीम खान, अमरजीत सिंह मनहास, चरणसिंह सप्रा, सुरेश शेट्टी, चंद्रकांत हंडोरे आदि स्थापित नेताओं के समर्थकों को शामिल करने का प्रयास किया गया, लेकिन पदों का तालमेल बिगड़ गया। ऐसे में भारी भरकम कमेटी के बावजूद नाराजगी के स्वर उभरे हैं। दरअसल, कांग्रेस की परंपरा में वरिष्ठता के आधार पर जिम्मेदारी दी जाती रही है, लेकिन संतुलन साधने में गड़बड़ी करके बहुत से नेताओं को नाराज कर दिया गया। भाई जगताप की पृष्ठभूमि मजदूर नेता की है। ऐसे में कुछ नेता नई कार्यकारिणी को लेबर यूनियन की तरह लोगों को स्थापित करने का आरोप लगाकर भड़ास निकाल रहे हैं।
धार्मिक और भाषाई संतुलन साधने में चूक
कांग्रेस में किसी उत्तर भारतीय और अल्पसंख्यक समुदाय को उतना महत्व नहीं दिया गया, जितना मिलता रहा है। यह समाज लंबे अरसे से कांग्रेस का वोटबैंक रहा है। इस समाज के प्रति नाइंसाफी की बात कही जा रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि धार्मिक और भाषाई समीकरण साधने में चूक हुई है। उत्तर भारतीय, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय का बेस वोट है, वह कमेटी में नहीं दिख रहा। इससे संतुलन का अभाव साफ दिखाई दे रहा है।
कृपाशंकर सिंह के समर्थकों का पत्ता साफ
कांग्रेस से इस्तीफे के बाद मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह के समर्थकों की हालत ‘त्रिशंकु’ जैसी हो गई है। मुंबई कांग्रेस की नई कार्यकारिणी में कृपाशंकर समर्थकों का पत्ता साफ हो गया है। मुंबई कांग्रेस के महासचिव रहे सतीशचंद्र राय, बीके तिवारी, अनिश संकला, एडवोकेट आरपी पांडेय सहित कई कृपाशंकर समर्थकों को नई कार्यकारिणी स्थान नहीं मिला है।
इन दिनों पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह के साथ उत्तर भारतीयों को एकजुट करने के लिए परिश्रम कर रहे हैं। उनके परिश्रम अभियान में जुटे पूर्व मंत्री चंद्रकांत त्रिपाठी को भी नई कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली है। संजय निरुपम के समर्थकों विश्वबंधु राय, डॉ. किशोर सिंह और संदीप सिंह को भी नई कार्यकारिणी में शामिल नहीं किया गया।
पद नहीं मिला तो दिया इस्तीफा
बीते विधानसभा चुनाव में घाटकोपर सीट से उम्मीदवार रहे आनंद शुक्ल को भी कमेटी में स्थान नहीं मिला। इससे नाराज होकर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में केवल 9305 वोट मिला था। तब उन्हें पार्टी से दरकिनार कर दिया गया था, लेकिन कल्कि पीठाधीश्वर और प्रियंका गांधी के राजनीतिक सलाहकार कृष्णम कल्कि से अपनी नजदीकी बढ़ाने की कोशिश में जुटे थे, लेकिन इसका उन्हें कोई लाभ नहीं मिला



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