पीएम मोदी के बगल में बैठे डॉ. करन सिंह, राजनीती जगत में तेज हुई हलचल
बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीता के श्लोकों पर 21 व्याख्याओं के 11 संस्करण का विमोचन किया। गीता के 11 संस्करण के विमोचन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी लोगों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जब देश आजादी के 75 साल मनाने जा रहा है तो हम सभी को गीता के कई पक्षों को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। हमें लोगों को यह बताना चाहिए कि कैसे गीता ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। कैसे गीता ने देश को एक सूत्र में बांधे रखा।
डॉ करण सिंह ने कहा कि उपनिषद से ही गीता का जन्म हुआ है लेकिन गीता इतनी लोकप्रिय क्यों है। गीता संघर्ष का संदेश हैं। आज हम लोग संघर्ष की परिस्थिति में हैं। यह याद रखें कुरुक्षेत्र केवल हरियाणा में नहीं था, हम सबके अंदर कुरुक्षेत्र है। हमारे अंदर की देवीक और आष्विक शक्तियों का युध्द हो रहा है और आजकल विशेषकर संघर्ष में परिस्थिति है इसलिए हमें यह और आकर्षित करती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जहां स्वयं गुरु कृष्ण हो तो इस तरह आकर्षक होना ही है। पिता पुत्र का प्यार, सखा मित्र का प्यार और प्रिय प्रीतम का प्यार, तीनों का समिर्षण जो है वह संबंध है श्री कृष्ण और अर्जुन से। यह किसी शास्त्र में हमने नहीं देखा। गीता किसी एक वर्ण, किसी एक वर्ग, किसी एक धर्म, किसी एक देश तक सीमित नहीं थी। हर एक प्रणी के अंदर भगवान का निवास है। यह हमारे विधान का मंत्र है।
डॉ. करन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को गीता के एक श्लोक का सार समझाते हुए कहा कि अगर आप लोकसभा में किसी बात का आश्वासन देते हैं तो एक साल बाद लोग आपसे कहेंगे कि आपने एक आश्वासन दिया था उसको पूरा कीजिए। आगे करन सिंह ने कहा कि हम श्री कृष्ण को ऐसे ही बांसुरी बजाते हुए जाने दें। क्या हम श्रीकृष्ण को ऐसे ही जाने दे देंगे, हमें उनको बांधना पड़ेगा। उनको बांधने का एकमात्र तरीका भक्ति ही है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मुखातिब होते हुए कहा कि अगर हमें भगवान की आवश्यकता है तो भगवान को भी हमारी आवश्यकता है। मानव के सहयोग के बिना भगवान का कार्य पूरा नहीं हो सकता है।




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