कबीर साहेब जी का कलयुग में प्रकट होना
कबीर साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। अगर हम एक कमल के फूल पर छोटे-से पत्थर का टुकड़ा रखे तो नहीं टिक सकता। पर कबीर साहेब जी कमल के फूल पर छोटे से बालक रूप में प्रकट हुए।
नीरू नीमा को मिले कबीर परमात्मा
प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में नीरू, नीमा नामक पति-पत्नी लहरतारा तालाब पर स्नान करने जाते थे। एक बार नीरू, नीमा जिनके कोई संतान नहीं थी स्नान करने जा रहे थे और नीमा रास्ते में भगवान शंकर से प्रार्थना कर रही थी कि हे दीनानाथ! आप अपने दासों को भी एक बच्चा दें दें आप के घर में क्या कमी है। प्रभु! हमारा भी जीवन सफल हो जाएगा। दुनिया के व्यंग्य सुन-सुन कर आत्मा दुःखी हो जाती है। मुझ पापिन से ऐसी कौन सी गलती किस जन्म में हुई हैं जिस कारण मुझे बच्चे का मुख देखने को तरसना पड़ रहा है। हमारे पापों को क्षमा करो प्रभु! हमें भी एक बालक दे दो।
यह कह कर नीमा फूट-2 कर रोने लगी तब नीरू ने धैर्य दिलाते हुए कहा हे नीमा! हमारे भाग्य में सन्तान नहीं है यदि भाग्य में सन्तान होती तो प्रभु शिव अवश्य प्रदान कर देते। आप रो-2 कर आंखें ख़राब कर लोगी। आप का बार-बार रोना मेरे से देखा नहीं जाता। यह कह कर नीरू की आंखें भर आईं। इसी तरह प्रभु की चर्चा व बालक प्राप्ति की याचना करते हुए लहरतारा तालाब पर पहुंच गए। प्रथम नीमा ने स्नान किया, उसके पश्चात नीरू ने स्नान करने को तालाब में प्रवेश किया। सुबह का अंधेरा शीघ्र ही उजाले में बदल जाता है। जिस समय नीमा ने स्नान किया था उस समय तक तो अंधेरा था।
Maghar Leela by Lord Kabir
— Sant Rampal Ji Maharaj (@SaintRampalJiM) February 22, 2021
As guided by Lord Kabir, Hindus and Muslims in Maghar live very affectionately and there is brotherhood between them even today.#कबीरपरमेश्वर_प्रस्थानदिवस#23Feb_GodKabir_PrasthanDiwas pic.twitter.com/Y61O24G5WZ



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