इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला बालिग कपल को अपने मर्जी से जीने का हक कोई नहीं दे सकता दखलएक 22 वर्षीय महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा कि हम अपने इच्छा से इस्लाम धर्म को अपनाया है और अपनी मर्जी के व्यक्ति से शादी की है ।अपने परिवार से सुरक्षा देने की मांग की है ।उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ कानून लागू हो चुका है राज्य सरकार का रवैया भी कठोर है।इस बीच कोर्ट ने एक बार अंतर जाति विवाह करने वाले कपल को बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने यह फैसला इस आधार पर दिया है की लड़की की उम्र 18 साल से ऊपर है वह अपने पसंद के व्यक्ति के साथ शादी करने और उसे अपने जीवन जीने का अधिकार है। 23 वर्षीय मुस्लिम युवक और हिंदू धर्म से इस्लाम को अपनाने वाली 22 वर्षीय महिला की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस शरण श्रीवास्तव ने कहा कि अदालत बार बार कह चुकी है कि अगर दो व्यक्ति नाबालिक नहीं है और अपनी इच्छा से साथ रहने का फैसला किया है तो उसे शांतिपूर्ण जीवन में किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने दोनों को पुलिस सुरक्षा देने का अधिकार दिया है।


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