उगना महादेव मंदिर!मिथिला के भवानी पुर में स्थित प्राचीन मंदिर !! जिसके विषय में माननीय प्रफुल्ल चंद्र झा जी विस्तार से बता रहे हैं ।।

श्री प्रफुल्ल चंद्र झा जी जो कि, पंडौल ग्राम के निवासी हैं एक समाजसेवी हैं । मंदिर के ऐतिहासिक और प्राचीनता के विषय में बता रहे हैं जो आप वीडियो के जरिए देख सकते हैं । मंदिर के रख रखाव में भी श्री प्रफुल्ल चंद्र झा जी पूरी तरह से लगे रहते हैं । आइए जानते हैं उगना महादेव और पंडौल गांव जुड़ी कुछ कहानियां ।

Vidhyapati Ugna Mahadev temple Live full details and Story

कवि विद्यापति : विद्यापति की भक्ति भावना से भगवान् शिव इतने प्रभावित हो गए थे कि वे नौकर के रूप में विद्यापति के साथ रहने लगे ।
लोकमानस कथा के अनुसार भगवान् शिव अपना वेष एक मुर्ख गंवार के रूप में बदल कर विद्यापति के पास आये और चाकरी करने लगे ,उनके यहाँ काम करते-करते वे विद्यापति के विश्वासी बन गए ,विद्यापति कहीं भी जाते वे उगना को अपने साथ ले जाते ।
उगना भी उनके साथ हाँ में हाँ मिलाता, एक समय की बात है विद्यापति को राज दरबार जाना था ।
वे उगना के साथ चल पड़े जेठ महीना था सूर्यदेव अपनी पराकाष्ठा पर थे रास्ते में कहीं पेड़ पौधे भी नहीं थे , जिसके छाँव में वे थोड़ा विश्राम कर लेते इसी समय विद्यापति को प्यास लगी वे उगना से बोल पड़े – “उगना मुझे बहुत जोड़ों से प्यास लगी है , प्यास के मारे मैं अब थोड़ा भी नहीं चल पाउँगा , मुझे कहीं से जल लाकर दो ,”
अपनी झोला से लोटा निकाल कर वे उगना की तरफ बढ़ा दिए ,उगना दूर- दूर तक अपना नजर दौड़ाया कहीं भी कुआं , सरोवर या नदी दिखाई नहीं दिया |
उगना एक झाड़ी के पीछे जाकर अपनी जटा से एक लोटा गंगाजल निकालकर विद्यापति को देते हुए बोले ,”कि आस पास में कहीं भी जल नहीं मिला इसे मैं बहुत दूर से लाया हूँ “
विद्यापति प्यास से व्याकुल थे उन्होंने सारा जल एक ही सांस में पी गए ,जल पीने के बाद वे उगना से बोल पड़े कि जल का स्वाद तो ऐसा नहीं होता है यह जल नहीं गंगाजल है , गंगाजल यहां कहां से आया ?
इस बात से उगना झेंप गए कि अब तो चोरी पकड़ी अंत में उगना विद्यापति को अपना शिव का रूप दिखाए और बोले कि,” इस बात को गुप्त ही रखना ।
एक दिन विद्यापति की पत्नी सुशीला उगना को कोई काम करने के लिए बोली , उगना को काम करने में कुछ देर हो गई जिस कारण सुशीला उगना को झाड़ू से मारने लगी , उगना झाड़ू की मार खा ही रहे थे कि विद्यापति की नजर उन पर पड़ी और अपनी पत्नी सुशीला को डांटने लगे , लेकिन सुशीला झाड़ूसे उगना को मारती ही रही , इस पर भावावेश में आकर विद्यापति सुशीला से बोले कि ,मामूली ना समझ नारी , जिसे तुम मार रही हो ये कोई साधारण आदमी नहीं , ये तो साक्षात शिव हैं “!,ये सुनते ही उगना वहीँ पर अंतर्ध्यान हो गए ।कहा जाता है कि, भगवान शिव के अन्तर्ध्यान होते ही विद्यापति पागलों की भांति उन्हे खोजने लगे और उनके वियोग में कई गीत लिखे जो आज भी मिथिला के घर घर में गाया जाता है ।
जिस स्थान पर उगना ने अपना शिव का रूप विद्यापति को दिखाया था उसी जगह पर आज उगना महादेव का विशाल मन्दिर बना हुआ है।

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