इतिहास में दर्ज नहीं हो रही, मैं खुद इतिहास हूं, लोक और तंत्र का विकास हूं

इतिहास में दर्ज नहीं हो रही, मैं खुद इतिहास हूं, लोक और तंत्र का विकास हूं

ब्रिटिश हुकूमत का अवसान, भारत का उत्थान देखा, अपना मुल्क, अपने लोग, अपना शासन, अपने अंदाज में अपनी कहानी रचते देखा। कभी भूख से जूझते देश को दुनिया की भूख मिटाते देखा, बैलगाड़ी से शुरू हो चांद तक जाते देखा। नोट फॉर वोट, आतंकी हमला, असहमतियों के विकराल रूप का दर्द भी देखा, पर अंत में बस भारत बढ़ते देखा। अपने नए रूप को आकार लेते देख मैं खुश हूं, मैं सुनहरा इतिहास हूं, भारतीय लोकतंत्र का विकास हूं।

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