Veer Baal Diwas वीर बाल दिवस: ‘बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने की दरिंदगी’ PM मोदी का औरंगजेब पर वार।
Veer Baal Diwas: वीर बाल दिवस ‘बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने की दरिंदगी’ PM मोदी का औरंगजेब पर वार।
गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबज़ादों, बाबा ज़ोरावर सिंह और बाबा फ़तेह सिंह और माता गुजरी के असाधारण साहस और बलिदान को याद करते हुए भारत सरकार 26 दिसंबर को दिल्ली सहित देश-विदेश में ‘वीर बाल दिवस’ मना रही है.
Veer Bal Diwas: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे.
इस कार्यक्रम में ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी लगभग तीन सौ बाल कीर्तनियों द्वारा प्रस्तुत किए गए ‘शबद कीर्तन’ में भी शामिल हुए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) वीर बाल दिवस के अवसर पर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम (Major Dhyanchand Stadium) में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ” ‘वीर बाल दिवस’ हमें याद दिलाएगा कि दश गुरुओं का योगदान क्या है, देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है! ‘वीर बाल दिवस’ हमें बताएगा कि भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है! मैं पिता दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी और सभी गुरुओं के चरणों में भी भक्तिभाव से प्रणाम करता हूं। मैं मातृशक्ति की प्रतीक माता गुजरी के चरणों में भी अपना शीश झुकाता हूं।”
मुगलों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं, लेकिन ये भी सच है कि चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति’ था. एक ओर धार्मिक कट्टरता में अंधी इतनी बड़ी मुगल सल्तनत, दूसरी ओर ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीने वाली परंपरा. चमकौर और सरहिंद की लड़ाई वास्तव में अविस्मरणीय है. ये 3 शताब्दी पहले लड़ी गई, लेकिन अतीत इतना पुराना नहीं है कि भुला दिया जाए. इन सभी के बलिदानों को हमेशा याद रखा जाएगा.
उन्होंने कहा, “औरंगजेब के आतंक के खिलाफ गुरु गोबिंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे, लेकिन ज़ोरावर सिंह साहब और फ़तेह सिंह साहब, जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगबेज और उसकी सल्लतन की क्या दुश्मनी हो सकती थी. दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई.”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”साहिबजादों ने इतना बड़ा बलिदान और त्याग किया, अपना जीवन न्यौछावर कर दिया, लेकिन इतनी बड़ी ‘शौर्यगाथा’ को भुला दिया गया। लेकिन अब ‘नया भारत’ दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है। हम आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ में देश के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। स्वाधीनता सेनानियों, वीरांगनाओं, आदिवासी समाज के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हम काम कर रहे हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई? वो इसलिए, क्योंकि औरंगजेब (Aurangzeb) और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh) के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे, लेकिन भारत के वो बेटे, वो वीर बालक, मौत से भी नहीं घबराए. वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया.
इसके अलावा संस्कृति मंत्रालय की ओर से एक विशेष डिजिटल प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी.
पिछले साल केंद्र सरकार ने छोटे साहेबज़ादों के शहीदी दिवस को ‘वीर बाल दिवस’ घोषित किया था जिसके बाद कुछ विवाद शुरू हो गया था. कुछ सिख विद्वानों ने इसे सिख धर्म के आंतरिक मामलों में दख़ल बताया और इस फ़ैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की थी.
लेकिन कई धार्मिक और राजनीतिक नेताओं ने भी प्रधानमंत्री के इस फ़ैसले की तारीफ़ भी की थी. प्रधानमंत्री के इस एलान के बाद तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर युवा साहिबज़ादों की शहादत को याद करने के लिए 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ घोषित किया था.