योग प्रशिक्षक की फर्जी नियुक्ति का खुलासा होने के बाद नहीं हुई बर्खास्तगी
फतेहपुर जिले में भी फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर योग प्रशिक्षक सरकार से ले चुके हैं लाखो का मानदेय
कौशांबी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अस्पतालों में योग सहायक एवं योग प्रशिक्षकों की भर्ती कर आम जनता के स्वास्थ्य को सरकार बेहतर बनाने के प्रयास में लगी है लेकिन योग प्रशिक्षक और योग सहायकों की फर्जी भर्ती कर जहां एक ओर अधिकारी सरकार के खजाने को वेतन के नाम पर लाखो की चपत लगा रहे हैं वहीं फर्जी योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति होने पर आम जनता को योग के विषय में जानकारी नहीं मिल पाती है फर्जी तरीके से नियुक्त योग प्रशिक्षण विभागीय अधिकारियों की मेहरबानी पर घर बैठे लाखों का वेतन उठा रहे हैं योग प्रशिक्षण केंद्र क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अस्पतालों में नहीं संचालित हो रहे है
योग प्रशिक्षक की फर्जी नियुक्ति के मामले में सब कुछ स्पष्ट होने के बाद भी फर्जी योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति निरस्त कर उनसे वेतन रिकवरी की कार्यवाही अधिकारियों द्वारा नहीं की जा रही है जिससे अधिकारियों की भी मंशा पर सवाल उठने लगे हैं ताजा मामला जिले में लवली सिंह योग प्रशिक्षक की नियुक्ति का है जिनकी नियुक्ति पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिल्ली ने सवाल खड़े कर दिए हैं नियुक्ति के समय दाखिल अभिलेखों के अनुसार योग प्रशिक्षक लवली सिंह का कहना है कि महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान नई दिल्ली से उन्होंने योग शिक्षा ली है लेकिन विश्व विद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली ने महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान नई दिल्ली के आयोग द्वारा अनुरक्षित विश्वविद्यालयों की सूची में सम्मिलित होने से ही इनकार कर दिया है लवली सिंह की फर्जी नियुक्ति के मामले में सब कुछ साफ हो गया है लेकिन फिर भी लवली सिंह को बर्खास्त कर उन पर मुकदमा नहीं दर्ज कराया गया है फर्जी नियुक्ति के आधार पर उन पर उनसे वेतन की रिकवरी नहीं कराई गई है जिससे चयन समिति की मंत्री क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी की भूमिका सवालों के घेरे में है शिकायतकर्ता सोनू राठौर ने अधिकारियों को पत्र भेजकर फर्जी नियुक्ति के आधार पर लाखों का मानदेय लेने वाली योग प्रशिक्षक लवली सिंह और चयन समिति के मंत्री पर मुकदमा दर्ज कराते हुए वेतन रिकवरी की मांग की है
योग प्रशिक्षकों की फर्जी नियुक्ति का पूरे प्रदेश में चल रहा खेल
कौशांबी योग प्रशिक्षक और योग सहायक की नियुक्ति के नाम पर फर्जी नियुक्ति का यह खेल अकेले कौशांबी में नहीं है बल्कि योग प्रशिक्षक और योग सहायक की फर्जी नियुक्ति का खेल पूरे उत्तर प्रदेश में बेखौफ तरीके से चल रहा है फर्जी नियुक्ति के आधार पर करोड़ों रुपए की चपत सरकारी खजाने को लगाई जा रही है फर्जी नियुक्ति के मामले में चयन समिति के मंत्री क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी की भूमिका भी सवालों के घेरे पर है और फर्जी नियुक्ति के मामले में क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी ने तत्कालीन जिलाधिकारी को भी गुमराह किया है फर्जी नियुक्ति के मामले में यदि शासन प्रशासन ने बिंदुवार सूक्ष्म जांच कराई तो चयन समिति मंत्री पर भी कठोर कार्यवाही हो सकती है