UP Chunav News: चुनाव आयोग ने साफ किया, समय से होंगे UP में चुनाव…
1.मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, यूपी में विधानसभा चुनाव समय पर होंगे
2.हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से विधानसभा चुनाव टालने की अपील की थी
3.चुनाव आयोग ने तय किया, चुनाव समय पर होंगे, मगर सावधानी के साथ
4.चुनाव समय पर होने से बीजेपी और विपक्षी पार्टियां दोनों ही खुश होंगे
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election Date) समय पर होंगे। बढ़ते कोविड केसेस के मद्देनजर चुनाव टाले जाने की संभावनाओं को चुनाव आयोग (Election Commission news) ने खारिज कर दिया है। लखनऊ दौरे पर आए मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि यूपी में विधानसभा चुनाव समय पर होंगे। उन्होंने कहा, ‘सभी राजनीतिक दलों ने कहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव कोविड प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए समय पर कराए जाएं।’ दरअसल बढ़ते ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से विधानसभा चुनाव टालने की अपील की थी।

चुनाव आयोग के रुख के बाद सपा सबसे ज्यादा खुश
चुनाव आयोग के ताजा बयान के बाद समाजवादी पार्टी ने जरूर राहत की सांस ली होगी। पार्टी के सीनियर नेता और राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव पहले ही चुनाव टाले जाने के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने ओमिक्रॉन को गंभीर खतरा नहीं बताते हुए इसे बीजेपी का चुनावी हथकंडा करार दिया था। रामगोपाल ने कहा कि कोर्ट ने बिना किसी की अपील के ऐसी बात क्यों कही? पब्लिक बीजेपी के खिलाफ है और इसी वजह से चुनाव को टालने का हथकंडा रचा जा रहा है।विपक्ष को थी आशंका, चुनाव टलवा सकती है बीजेपी
सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी चुनाव टाले जाने के खिलाफ थे। विपक्षी दलों का मानना था कि हार के डर से आशंकित होकर बीजेपी चुनाव को टालना चाहती है। सपा नेता रामगोपाल का बयान भी यही इशारा करता है। उनका मानना है कि अखिलेश की सभाओं और रैलियों में उमड़ रही भीड़ को देखते हुए बीजेपी को डर सता रहा है।

बीजेपी हो या सपा, चुनाव टलने से क्या होते नुकसान?
दरअसल चुनाव टलने से फायदा किसी को नहीं होता। यूपी का चुनाव अपने फुल मोड में आ चुका है। बीजेपी भी चुनाव प्रचार को लेकर पूरी ताकत झोंक चुकी है। अखिलेश यादव भी फुल स्विंग में पूरे यूपी को मथ रहे हैं और अपनी सभाओं में आ रही बंपर भीड़ को देखकर उत्साहित हैं। वह अभी तक आधे प्रदेश में रैलियां और सभाएं कर चुके हैं। इनके अलावा कांग्रेस भी अपनी पूरी ताकत झोंककर बड़े शहरों में मैराथन करवा रही है। चुनाव टलने की स्थिति में इन सभी पार्टियों को आर्थिक नुकसान तो होता ही, साथ ही फिर से नए सिरे से चुनावी कैम्पेन शुरू करने का दबाव बढ़ जाता।कोरोना के बीच भी चुनाव कराने में कोई समस्या नहीं’
इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा, ‘हाई कोर्ट के जिस जज ने ऐसी अपील की है, वह पहले भी अपने दायरे से बाहर जाकर बातें कहते रहे हैं। और अभी उत्तर प्रदेश में कोरोना की स्थिति गंभीर नहीं है। कोरोना का खतरा हो तो भी सावधानी बरतते हुए चुनावी प्रक्रिया संपन्न कराने में और चुनाव को ही टाल देने में काफी अंतर है। मुझे नहीं लगता कि सावधानी के साथ चुनाव संपन्न कराए जाने में किसी तरह की समस्या आएगी। अपने देश का चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, जैसे कि सुप्रीम कोर्ट। लेकिन अगर किसी सरकार की तरफ से दबाव बनाया जाता है तो यह काफी गलत संदेश होगा। ऐसा करना अलोकतांत्रिक साबित होगा, जिसके दुष्कर परिणाम सामने आ सकते हैं।हाई कोर्ट ने कहा था- जान है तो जहान है
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने देश-विदेश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रान के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों से कहा जाए कि वे चुनाव प्रचार टीवी और अखबारों के माध्यम से करें। प्रधानमंत्री एक-दो माह के लिए चुनाव टालने पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है।

अधिकारियों के साथ बैठक के बाद लिया गया फैसला, नहीं टलेंगे चुनाव
चुनाव आयोग की टीम दो दिवसीय दौरे पर उत्तर प्रदेश पहुंची थी। टीम 28 और 29 दिसंबर के बीच उत्तर प्रदेश में रही। इस दौरान यूपी के सभी जिलों से जिलाधिकारियों, एसपी और एसएसपी को यूपी की राजधानी लखनऊ बुलाया गया। अधिकारियों के साथ बैठक करके चुनाव तैयारियों को लेकर चर्चा की गई। फीडबैक के आधार पर यह तय किया गया है कि चुनाव तय समय पर ही होंगे, मगर पूरी सावधानी के साथ। कोविड के मद्देनजर चुनाव का समय एक घंटा बढ़ाया जाएगा। साथ ही पोलिंग बूथों पर कोविड प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाएगा।